वर्ष 2010 के प्रारम्भ से प्रमुख दरों में 13 बार वृद्धि करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विकास दर को बढ़ावा देने की कोशिश के तहत शुक्रवार को अपनी प्रमुख दरों में कोई वृद्धि नहीं की. दूसरी ओर वार्षिक मुद्रास्फीति दर घटने से भी थोड़ी राहत मिली है.
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पेश करते हुए एक बयान में कहा कि जहां मुद्रास्फीति अनुमानित पथ पर बनी हुई है, वहीं विकास दर के नीचे जाने का खतरा स्पष्टरूप से बढ़ गया है.
बयान में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में निर्धारित दिशानिर्देश, जो कि अनुमानित मुद्रास्फीति पथ पर आधारित था, यह था कि दरों में और वृद्धि की जरूरत नहीं पड़ेगी. वृद्धि दर की गति सुस्त पड़ने और विकास दर के नीचे जाने के उच्च खतरे को देखते हुए इस दिशानिर्देश को दोहराया जा रहा है.
आरबीआई ने यह भी कहा है कि इस बिंदु के बाद से अब इस चक्र को विपरीत दिशा में मोड़ने का प्रयास किया जाएगा. इसका प्रभावी अर्थ यह होता है कि उद्योग जगत आगामी महीनों में ब्याज दरों के कम होने की आशा कर सकता है.
यह मौद्रिक समीक्षा ऐसे समय में सामने आई है, जब देश की वार्षिक मुद्रास्फीति दर नवम्बर में गिरकर 9.1 प्रतिशत पर आ गई. दूसरी ओर तीन दिसम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर गिर कर 4.35 प्रतिशत पर पहुंच गई लेकिन यहीं पर कारखाना उत्पादन की दर अक्टूबर में गिरकर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मात्र 6.9 प्रतिशत रही. यह दो वर्षो में जीडीपी का सबसे निम्न स्तर रहा. आरबीआई ने कहा है कि मार्च के अंत तक के लिए वार्षिक मुद्रास्फीति की दर से सम्बंधित उसका अनुमान सात प्रतिशत बरकरार है.