मौद्रिक नीति को कड़ा किये जाने का संकेत देते हुए रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि मुद्रास्फीति उसके लिये बड़ी चुनौती है और वृद्धि को प्रभावित किये बिना वह महंगाई दर पर अंकुश लगाने के उपाय करेगा.
तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा की पूर्व संध्या पर समष्टि आर्थिक गतिविधियों पर जारी रिपोर्ट में शीर्ष बैंक ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति के जरिये सामान्य मुद्रास्फीति के दबाव से बचते हुए अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस लाना रिजर्व बैंक के समक्ष सबसे नाजुक प्रश्न है.’’
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 21.9 फीसदी की बढ़ोतरी को रेखांकित करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘दिसंबर 2009 में सामान्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के संकेत हैं.’’ केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति के बढ़ने का असर गैर खाद्य वस्तुओं पर भी पड़ सकता है जिससे मुद्रास्फीति दबाव बढ़ेगा.
थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति पिछले वर्ष शून्य से नीचे पहुंचने के बाद दिसंबर माह में 7.3 फीसदी पहुंच गयी. भारत के मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने मार्च के अंत तक इसके 9 फीसदी के आंकड़े को पार कर जाने का संकेत दिया है. बहरहाल, जीडीपी के मामले में अच्छी खबर है. रिजर्व बैंक द्वारा आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाने वाले पेशेवरों के बीच कराये गये ताजा सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2009-10 में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. इससे पूर्व में यह अनुमान 6.0 फीसदी था.