भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आज अपनी ब्याज दरों की समीक्षा करने वाला है और जो संकेत मिल रहे हैं उनसे लगता है कि अब ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी. आरबीआई को आज अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करनी है. जानकार अब उम्मीद लगा रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं करेगा.
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बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक मार्च 2010 से ब्याज दरों में 13 बार बढ़ोतरी कर चुका है. लेकिन महंगाई पर इसका इतना असर नहीं पड़ा जितना औद्योगिक विकास प्रभावित हुई. औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़े हाथ पांव फुला देने वाले रहे हैं. जून 2009 के बाद पहली बार औद्योगिक विकास का आंकड़ा माइनस में पहुंच गया. अक्टूबर का आंकड़ा माइनस 5.1 फीसदी हो गया.
हालांकि खाद्य महंगाई दर में गिरावट आई है. खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर चार साल के सबसे कम स्तर पर आ गई है. यह तीन दिसंबर को खत्म हफ्ते के लिए 4.35 फीसदी है.
लेकिन अगर आप यह सोच रहे हैं कि जल्दी ही आपके होम लोन की ब्याज दर कम हो जाएगी तो यह उम्मीद करना छोड़ दें. महंगाई दर जिस स्तर पर है उसे देखते हुए यह उम्मीद कम ही है कि आरबीआई रेपो रेट या सीआरआर में कमी करे.
रेपो रेट वो दर है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है और सीआरआर वो रकम है जो बैंकों को आरबीआई के पास रखनी होती है. अब रिजर्व बैंक को गिरती विकास दर थामने की फिक्र है. दरअसल, ब्याज दर बढ़ने से मांग में कमी आई है और मांग में कमी आने से उत्पादन गिर गया जिसका असर विकास दर पर पड़ा है.