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रिजर्व बैंक की समिति ने किया एनबीएफसी के कड़े नियमों का प्रस्ताव

भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कड़े नए नियमों को लागू करने की वकालत की है. इसका मकसद एनबीएफसी के लिए नियमन तथा निगरानी ढांचे को मजबूत करना है.

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भारतीय रिजर्व बैंक
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भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कड़े नए नियमों को लागू करने की वकालत की है. इसका मकसद एनबीएफसी के लिए नियमन तथा निगरानी ढांचे को मजबूत करना है.

रिजर्व बैंक की उप गवर्नर उषा थोराट की अगुवाई वाले कार्यसमूह ने सुझाव दिया है कि प्रावधान दिशानिर्देशों तथा शेयर ब्रोकरों और मर्चेंट बैंकरों को कर्ज देने के मामले में एनबीएफसी के लिए बैंकों के समान की नियमन होने चाहिए.

समिति ने कहा है, ‘बैंकों पर लागू होने वाले अकाउंटिंग नियम एनबीएफसी के लिए भी होने चाहिए.’ कार्यसमूह ने कहा है कि ऐसे सभी एनबीएफसी जिनकी परिसंपत्तियां 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हैं, बेशक वे सूचीबद्ध हैं या नहीं, को सेबी के सूचीबद्धता करार की धारा 49 के तहत कंपनी के निदेशक मंडल का गठन करना चाहिए.

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समिति ने यह भी कहा है कि गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों का सालाना आधार पर दबाव झेलने की क्षमता का परीक्षण होना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि उनकी स्थिति क्या है.

समिति ने सुझाव दिया है कि एनबीएफसी के पंजीकरण के तीन साल के भीतर पूंजी पर्याप्तता की दृष्टि से उनकी न्यूनतम टियर एक :शेयर पूंजी: पूंजी 12 प्रतिशत होनी चाहिए.

समिति ने एनबीएफसी को रिण वसूली के नए कानून- वित्तीय परिसम्पत्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूतिकरण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम (सरफेसी कानून) का लाभ देने की भी वकालत की है. हालांकि समिति ने कहा है कि पंजीकरण के लिए सभी नए गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए शुद्ध स्वामित्व कोष (एनओएफ) की जरूरत को आरबीआई कानून में संशोधन तक वर्तमान के दो करोड़ रुपये के स्तर पर ही रखना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक को नए एनबीएफसी के पंजीकरण के लिए न्यूनतम 50 करोड़ रुपये की संपत्ति के आकार पर जोर देना चाहिए. ‘इससे कम परिसंपत्तियों वाले एनबीएफसी का पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए या फिर उन्हें दो साल के बाद नया पंजीकरण प्रमाणपत्र लेने को कहा जाना चाहिए.’ समिति ने सुझाव दिया है कि 25 प्रतिशत या अधिक की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी के स्थानांतरण, नियंत्रण में बदलाव, किसी भी पंजीकृत एनबीएफसी का विलय या अधिग्रहण, इसके लिए रिजर्व बैंक की अनुमति अनिवार्य होनी चाहिए. रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट पर सभी अंशधारकों और आम जनता से सितंबर के अंत तक टिप्पणियां मांगी हैं.

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