वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की वृद्धि से मुद्रास्फीति को आरामदायक स्तर पर लाने में मदद मिलेगी.
मुखर्जी ने बताया, ‘मुझे उम्मीद है कि रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदम से हमें मुद्रास्फीति को आरामदायक स्तर पर लाने में मदद मिलेगी और साथ ही चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर बढ़ने की उम्मीद प्रबल होगी.’
रिजर्व बैंक ने अपनी मध्य तिमाही समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरें चौथाई प्रतिशत तक बढ़ा दी जिससे ऋण महंगा हो जाएगा. मार्च, 2010 के बाद से रिजर्व बैंक द्वारा 12वीं बार नीतिगत ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं.
मुखर्जी ने कहा, ‘आज उठाया गया कदम 2011-12 की पहली छमाही के लिए रिजर्व बैंक के मौद्रिक रुख के मुताबिक है.’ इससे पहले, रिजर्व बैंक ने कहा था कि मौद्रिक नीति तय करने में मुद्रास्फीति की अहम भूमिका बनी रहेगी. रिजर्व बैंक ने मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति 7 प्रतिशत पर आने का अनुमान व्यक्त किया था. रिजर्व बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नरम होगी.
अगस्त में सकल मुद्रास्फीति 9.78 प्रतिशत रही जो जुलाई में 9.22 प्रतिशत थी. मुखर्जी ने कहा कि पिछले 12 महीने से सकल मुद्रास्फीति का 9 प्रतिशत से ऊपर बना रहना चिंता का विषय है. ‘मौद्रिक नीति सख्त किए जाने से हाल के दिनों में आर्थिक वृद्धि प्रभावित हुई है.’
उल्लेखनीय है कि जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 21 महीने के निचले स्तर. 3.3 प्रतिशत पर आ गई. वहीं दूसरी ओर, अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 18 महीने के निचले स्तर 7.7 प्रतिशत पर आ गई.