आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य में सेक्यूलर प्रधानमंत्री के मुद्दे पर राजनीति करने वालों पर करारा हमला हुआ है.
संपादकीय में पूछा गया है कि आखिर हिंदुत्ववादी पीएम से इन लोगों को चिढ़ क्यों है? बिना नाम लिए नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी पर संघ परिवार का मुहर लगा है.
उधर, संजय जोशी के समर्थन में आए नये पोस्टर में फिर नरेंद्र मोदी निशाने पर हैं. जाहिर है कि नीतीश कुमार के सेक्यूलर प्रधानमंत्री के बयान ने आरएसएस को मौका दिया है कि वे फिर से मोदी के समर्थन में बोल सके. लिहाजा उसने सवाल उठाया है कि आखिर देश का हिंदुत्ववादी प्रधानमंत्री हो, इसमें हर्ज ही क्या है?
पांचजन्य में लिखा है, 'सर्वपंथसमभाव तो भारत के हिन्दू चिंतन की विशेषता है. ऐसे हिन्दुत्व को साम्प्रदायिक मानना और 'सेक्यूलरवाद' को सत्ता की राजनीति का हथियार बना लेना सुविधा की राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है. हिन्दुओं का उत्पीड़न कर 'सेक्यूलर राज' स्थापित किए जाने को तत्पर इन नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि भारत में देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के हितों की चिंता करने वाली सरकार और प्रधानमंत्री क्यों नहीं होना चाहिए? ऐसा शासन और ऐसा प्रधानमंत्री निश्चय ही हिन्दू जीवन मूल्यों, संस्कारों व आदर्शों से प्रेरित होकर 'सर्वेषां अविरोधेन्' के भाव के साथ सभी मत-पंथों के हित चिंतन व उत्कर्ष के लिए कार्य करेगा.'
आरएसएस बिना नाम लिए मोदी के लिए मैदान तैयार कर रही है, तो दिल्ली के अशोक रोड, जहां बीजेपी का हेडक्वार्टर है, वहां से चंद कदमों की दूरी पर संजय जोशी के समर्थन में लगे पोस्टर में लिखा है, 'पहले दादागीरी, फिर तानाशाही, फिर भाजपा को हाईजैक करना...क्यों बने हो सियासत के आतंकवाद. अब नहीं होता बर्दाश्त. भाजपा अब तो करो इलाज...संजय जोशी जिंदाबाद.'
कहने की जरूरत नहीं कि पोस्टर में किसका इलाज करने की जरूरत बताई जा रही है. देखना यह होगा कि बिना नाम लिए मोदी के समर्थन और विरोध की लड़ाई आगे कौन सा मोड़ लेती है.