राधे मां अब जूना अखाङे की महामंङलेश्वर बन गई है. राधे मां को एक गोपनीय समारोह में जूना अखाङे ने महामंङलेश्वर की उपाधि दे दी है. राधे मां को महामंङलेश्वर बनाने का कार्यक्रम इतना गोपनीय रखा गया कि किसी को भी कानोंकान खबर नही हुई. हालांकि महामंङलेश्वर बनते ही राधे मां रात में ही हरिद्वार से चली गई.
जूना अखाङे ने राधे मां को महामंङलेश्वर बनाने को सही ठहराया है लेकिन राधे मां को रात में ये उपाधि क्यों दी गई. इस पर अखाड़े की दलील है कि महामंडलेश्वर बनाने के लिए समय की बाध्यता नहीं है जबकि परंपरा के मुताबिक महामंङलेश्वर की उपाधि कुंभ मेले के आयोजनों के दौरान दी जाती रही है. उधर साधु संतो ने जूना अखाङे द्वारा रातोंरात राधे मां को महामंङलेश्वर बनाने की आलोचना की है.