दिल्ली की कॉलेज छात्रा की हत्या के पीछे उत्तर प्रदेश के मानसिक रूप से अशांत एक युवक का हाथ है जो अपने अपमान का बदला लेना चाहता था. पुलिस ने कहा कि इस युवक की तीन साल पहले लड़की का पीछा करने को लेकर पिटाई कर दी गयी थी.
इस कथित हत्यारे की पहचान विजय उर्फ राम सिंह (25) के रूप में की गयी है जो उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के विसवान गांव का निवासी है. पुलिस ने विजय के दो दोस्तों तबरेज और अशरफ को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के बाद हत्यारे का पता लगाया.
दक्षिण दिल्ली के रामलाल आनंद कॉलेज के बाहर राधिका तंवर (20) की गोली मार कर हत्या करने के बाद विजय को शरण देने और दो दिन बाद 10 मार्च को उसे राजधानी से भागने में इन दोनों ने मदद की थी. तंवर इसी कॉलेज में अध्ययनरत थी.
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) एच जी एस धालीवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘उसका असली नाम राम सिंह है लेकिन वह दिल्ली में विजय के नाम से रहता है. जांच से पता चला है कि वह मानसिक रूप से अशांत है. पता चला है कि गांव में भी वह महिलाओं का पीछा करता था.’ {mospagebreak}
धालीवाल ने कहा, ‘पुलिस ने विजय के जिन दो दोस्तों को हिरासत में लिया है, उन्होंने बताया कि राधिका के कथित उत्पीड़न के चलते निवासियों ने उसको साढ़े तीन साल पहले पीटा था और वह अपने अपमान का बदला लेना चाहता था.’
उन्होंने कहा, ‘उसके मन में राधिका को लेकर काफी गुस्सा भरा हुआ था और वह अपने दोस्तों से अक्सर कहा करता था कि मौका मिलने पर वह लड़की से बदला लेगा.’ पिटाई के बाद वह दिल्ली छोड़कर मुंबई चला गया. वह राजधानी में 45 दिन पहले ही लौटा था और उसने अपने पूर्व नियोक्ता कमल से नौकरी के लिए संपर्क किया था लेकिन पीछा करने के मामलों में कथित संलिप्तता के चलते उसे नौकरी देने से इनकार कर दिया गया. इसके बाद विजय ने रोहिणी में अपने मित्रों से संपर्क किया था.
धालीवाल ने कहा, ‘हत्या के बाद विजय अपने दोस्त के घर गया जहां वह गुरुवार तक रहा. उसने उन्हें बताया कि नारायणा में उसका झगड़ा हो गया था. लेकिन मीडिया में इस खबर के बड़े पैमाने पर सामने आने के बाद उसे लगा कि उसकी गिरफ्तारी जल्दी ही हो सकती है. विजय के मित्र उसे गुड़गांव में एक और परिचित के पास ले गये जिसने उसे सहायता देने से इनकार कर दिया. इसके बाद तबरेज और अशरफ विजय को गुड़गांव रेलवे स्टेशन ले गये और उन्होंने उसे वहां छोड़ दिया.’ {mospagebreak}
तबरेज और अशरफ को शुक्रवार को सीतापुर से हिरासत में ले लिया गया. तीनों लोग बुनाई और सिलाई की इकाइयों में काम करते थे. पुलिस उन युवकों तक कैसे पहुंची, जिन्होंने विजय की मदद की थी, इस सवाल के जवाब में पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिन लोगों को पूर्व में पीछा करने के चलते पीटा गया था, उनके परिचितों के रिकार्ड से पुलिस इन दोनों युवकों तक पहुंची.
धालीवाल ने कहा, ‘हमने विभिन्न राजनीतिक दलों के स्थानीय मतदान एजेंटों से संपर्क किया जो इलाके के उन लोगों को जानते थे जिनके नाम मतदाता सूची में नहीं थे. हमने राशन और परचून की दुकानों के साथ-साथ दूध के बूथ के मालिकों से संपर्क किया जहां से हमें इस संबंध में सूचना मिल गयी.’