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देश के प्रतिष्ठित तिलैया सैनिक स्‍कूल में रैगिंग का खुलासा

झारखंड के कोडरमा में स्थित सैनिक स्कूल अपने अनुशासन और बेहतरीन पढ़ाई की वजह से मशहूर है लेकिन उसी स्कूल में खुलेआम उड़ाई जा रही है अनुशासन और सुप्रीम कोर्ट के रैंगिंग के खिलाफ नियमों की धज्जियां.

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आपको भले ही ये लगता हो कि हिंदुस्तान के स्कूल कॉलेजों में रैगिंग नाम का राक्षस मर चुका है लेकिन आप बिलकुल गलत हैं. लेकिन इस खबर से आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे.

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सैनिक स्कूल तिलैया, देश का एक बेहद प्रतिष्ठित और जाना माना स्कूल. झारखंड और आसपास के राज्यों के मां बाप का सपना होता है कि उनके बच्चों को सैनिक स्कूल तिलैया में दाखिला मिल जाए ताकि उनका भविष्य बन जाए.

झारखंड के कोडरमा में स्थित सैनिक स्कूल अपने अनुशासन और बेहतरीन पढ़ाई की वजह से मशहूर है लेकिन उसी स्कूल में खुलेआम उड़ाई जा रही है अनुशासन और सुप्रीम कोर्ट के रैंगिंग के खिलाफ नियमों की धज्जियां.

स्‍कूल के सीनियर छात्र रैगिंग तो कर ही रहे हैं और इस दौरान जूनियर छात्रों को बेल्‍ट और मुक्‍कों से पीट भी रहे हैं. इस झकझोर देने वाली घटना को सैनिक स्कूल के ही एक छात्र ने अपने मोबाइल पर कुछ दिनों पहले ही कैद किया है.

स्‍कूल में रैगिंग का ये आलम है कि एक छात्र इससे घबराकर स्‍कूल छोड़ अपनी मां के ढाबे पर बर्तन धोने को मजबूर है. शंभू ( बदला हुआ नाम) नाम का यह छात्र भी तिलैया सैनिक स्कूल में आठवीं का छात्र है लेकिन सीनियर्स के रैगिंग की वजह से उसे स्कूल से अपने घर रांची आना पड़ा. शंभू के शरीर पर पड़े जख्म के निशान भी सैनिक स्कूल तिलैया में रैगिंग की काली हकीकत को आपके सामने पेश कर रहे हैं. शंभू की मां ने भी अब फैसला कर लिया है कि उनका लाल रैगिंग की भेंट अब और नहीं चढ़ेगा.

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सैनिक स्कूल तिलैया के छात्र भी कैमरे पर रैगिंग की बात कबूल कर रहे हैं लेकिन स्कूल प्रशासन हैं कि रैगिंग की बात से अपने आप को बिलकुल अंजान बता रहा है. क्या ऐसा मुमकिन है कि जिस कड़वी हकीकत की जानकारी स्कूल के अंदर और बाहर हर किसी को हो वो स्कूल के आला अधिकारियों को ही न पता हो.

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही रैगिंग पर पाबंदी लगा दी हो लेकिन सैनिक स्कूल तिलैया की इन हैवानियत भरी खबरों के बाद तो यही लगता है कि रैगिंग के राक्षस स्कूल क़ॉलेज हर जगह अभी भी जिंदा है और खुलेआम अपनी मनमानी कर रहे हैं.

सैनिक स्कूल तिलैया से अपने घर रांची लौट चुका आठवी का छात्र शंभू रैगिंग के राक्षसों की करतूत का जीता जागता सबूत है. गरीबी की वजह शंभू रैगिंग का खुलासा करने की हिम्मत अपने स्कूल में नहीं जुटा पाया लेकिन अब वो साफ-साफ ये कह रहा है कि जिस वक्त सीनियर छात्र जूनियर छात्रों के साथ मारपीट और रैगिंग करते हैं उस वक्त हॉस्टल के वार्डन भी वहां मौजूद होते हैं.

अपने साथ हुए रैगिंग और मारपीट की कहानी सिर्फ रांची का शंभू ही नहीं बयां कर रहा है बल्कि सैनिक स्कूल के दूसरे जूनियर छात्र भी कैमरे पर खुलेआम इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हां, स्कूल में सीनियर छात्र करते हैं अपनी मनमानी. लेकिन स्कूल प्रशासन है कि सच्चाई मानने को तैयार ही नहीं है.

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स्कूल प्रशासन ये दलील दे रहा है कि उनके पास रैगिंग को लेकर अभी तक कोई भी जानकारी और शिकायत नहीं आई है लेकिन जिस तस्वीर और खबर का दुनिया को पता हो उससे संबंधित स्कूल ही अनजाना हो, सुनकर बड़ा हास्यास्पद लगता है.

हैरानी होती है कि कैसे देश के एक जाने माने सैनिक स्कूल में रैगिंग के राक्षस अभी भी खुलेआम अपनी करतूतों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं. कैसे उनकी वजह से एक होनहार अपना भविष्य तकरीबन गवां चुका है और कैसे दूसरे छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है.

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