भारतीय जनता पार्टी के युवा सांसद और राष्ट्रीय सचिव वरुण गांधी खुद को उम्र में 10 साल बड़े चचेरे भाई एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी की पीढ़ी का नहीं मानते, मगर दोनों राजनीति की एक ही ‘रेसिपी’ तैयार करते दिखाई पड़ रहे है.
राहुल जहां एक ओर गरीबों को देश की असली शक्ति बता रहे हैं, वहीं वरुण आम जनता से संवाद और सम्पर्क बढ़ा कर ‘गरीब केन्द्रित’ राजनीति की राह पर चलने पर जोर दे रहे हैं.
वरुण गांधी ने आज यहां कहा कि ‘मेरी एक सोच है वह सोच यह है कि राजनीति चुनाव केन्द्रित नहीं होनी चाहिए बल्कि गरीब केन्द्रित होनी चाहिए.’ वरुण लखनउ से सटे हरदोई जिले के कुछ बाढ़ पीड़ित लोगों से मिलने के लिए आज यहां अमौसी हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ‘राजनीति गरीब केन्द्रित होनी चाहिए..हालांकि आज कोई गरीब भी अपने को गरीब नहीं कहलाना चाहता कारण कि लोगों में आत्मगौरव और सम्मान की भावना बढ़ी है, जो कि अच्छी बात है.’ वरुण ने कहा कि पार्टी के सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को चाहिये कि वे जमीनी राजनीति करें और समाज के हर तबके का विश्वास जीतें..सभी को चाहिए कि वे दीवाली के दिन किसी बाढ़ पीड़ित गांव में जाकर वहां दिया जलायें.
यह पूछे जाने पर कि कहीं आप भी वही तो नहीं कर रहे जो राहुल गांधी कर रहे है, वरुण ने कहा, ‘जितने लोग घूम रहे हैं, सभी सीख रहे हैं. राहुल जी मुझसे उम्र में 10 साल बड़े हैं. मैं उन्हें अपनी पीढ़ी का नहीं मानता.’
सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में सामान्य लोगों को अधिक विश्वसनीय बताते हुए वरुण ने कहा, ‘सामान्य आदमी का रिश्ता दल से नहीं दिल से है. राजनीतिक लोगों के मन में मैल हो सकता है, क्योंकि उनमें महत्वाकांक्षा होती है.’{mospagebreak}
उत्तर प्रदेश में कम से कम एक करोड़ लोगों के नदियों के बाढ़ सीमा क्षेत्र में रहने के बावजूद बाढ़ से बचाव के लिए कोई खास प्रभावी योजना का अभाव होने का दावा करते हुए वरुण ने कहा कि उनकी योजना है कि भविष्य में वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर दो-तीन दिन रुकेंगे ताकि आम जनता से मिलने और उनकी समस्याएं समझने का पूरा अवसर मिले.
उन्होंने यह भी कहा, ‘सामान्यतया कितने लोग अपने नेताओं और सांसदों से मिल पाते है. जबकि आज का आदमी ज्यादा संवेदनशील है और वह चाहता है कि उनके जनप्रतिनिधि उनसे सीधे सम्पर्क में रहें. जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही बढ़ी है.’ वरुण ने कहा, ‘‘हमें निरन्तर जनसम्पर्क और जनसंवाद के जरिये लोगों को यह एहसास कराना चाहिए कि हम सुख दुख में उनके साथ खड़े है.’
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वरुण ने दोहराया कि पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को दीवाली के दिन किसी बाढ़ पीड़ित परिवार में जाकर वहां दिया जलाना चाहिए और यह काम किसी राजनीतिक अभियान के रुप में नहीं बल्कि कर्तव्य भावना से करना चाहिए.
सांसदों में अपने वेतन-भत्ते बढ़वाने में सांसदों में बड़ी एकता दिखाई देने के सवाल पर वरुण ने कहा कि राजनीति में अनेक लोग आर्थिक दृष्टि से साधारण परिवारों से आते हैं और उनके लिए तो यह जरुरी हो सकता है, ‘मगर हम बहुत से लोग खुश किस्मत है, हमें कोई आर्थिक संकट नहीं है और हम संसद में वेतन के लिए नहीं जाते हैं.’’ उन्होंने यह भी बताया कि वह सांसद होने के नाते उन्हें मिलने वाले सभी वेतन भत्ते जनता और जरुरतमंद लोगों की सहायता में खर्च करते हैं.यह उनका संकल्प है.