एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों से मिलने भट्टा परसौल गांव पहुंचे कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को अत्यंत नाटकीय घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया लेकिन तीन घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें डीएनडी एक्सप्रेस-वे से होते हुए दिल्ली पहुंचा कर सराय काले खां स्थित अंतरराज्यीय बस अड्डे पर छोड़ दिया.
सराय काले खां, भट्टा पारसौल गांव से कुछ ही दूर है जहां राज्य के किसान एक एक्सप्रेस.वे परियोजना के लिए उप्र सरकार की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं. भट्टा परसौल गांव में पर राहुल ने किसानों के साथ 19 घंटे बिताये.
राहुल के साथ गिरफ्तार हुए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह, राजबब्बर और रीता बहुगुणा जोशी को भी पुलिस ने रिहा कर दिया. कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में गुरुवार को यूपी में चक्का जाम करने का फैसला किया है.
इससे पहले भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर यहां हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होने, संघषर्रत किसानों का पूरा समर्थन करने का वादा करने और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की आलोचना करने के बाद राहुल गांधी को बुधवार रात उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस महानिरीक्षक (मेरठ रेंज) रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि राहुल गांधी को आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है और उन्हें गुरुवार को उप जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया जायेगा. अमेठी से सांसद गांधी को भट्टा परसौला गांव स्थित धरनास्थल से भूरे रंग की टाटा सफारी में अज्ञात स्थान पर ले जाया गया.
राहुल गांधी ने पुलिस थाने में संवाददाताओं से कहा कि मुझे गिरफ्तारी आदेश नहीं दिखाये गये. लिहाजा, मैं नहीं जानता कि मेरी गिरफ्तारी के पीछे आधार क्या है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने मुझे आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया. उन्होंने मुझे कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाया. लिहाजा, मैं वह दस्तावेज देखना चाहता हूं जिसके तहत मुझे गिरफ्तार किया गया है. मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि चूंकि गांधी ने जमानत लेने से इनकार कर दिया है, इसलिये ‘हम उन्हें किसी अन्य स्थान पर ले जा रहे हैं.
राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह तथा फिरोजाबाद से सांसद राज बब्बर के साथ वाहन में बैठने से पहले बड़ी तादाद में मौजूद मीडियाकर्मियों की ओर देखकर मुस्कराये.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि हम किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करना जारी रखेंगे. कांग्रेस ने इस गिरफ्तारी के लिये तुरंत मायावती सरकार को आड़े हाथ लिया.
कांग्रेस महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में क्रूरतम शासन देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को गिरफ्तार करने की उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई यह साबित करती है कि मायावती खुद की कब्र खोद रही हैं.
द्विवेदी ने कहा कि अगर सरकार में न्याय की जरा सी भी भावना बची है तो राज्य को कम से कम न्यायिक जांच के तुरंत आदेश देने चाहिये. राहुल बुधवार अल-सुबह मोटरसाइकिल पर सवार होकर किसानों के आंदोलन का केंद्र भट्टा पारसौल गांव पहुंचे. वह दिन में आंदोलनरत किसानों के साथ धरने पर बैठे.
उन्होंने किसानों से कहा कि यहां जो कुछ भी हो रहा है, उसे देख कर मुझे खुद को भारतीय कहने में शर्म महसूस होती है. प्रदेश सरकार अपने ही लोगों पर अत्याचार कर रही है.
भाजपा ने राहुल के धरने पर बैठने को ‘नाटक’ बताते हुए सवाल किया कि संप्रग सरकार ने वादा किया था कि वह भूमि अधिग्रहण विधेयक संसद में लाएगी, अब वह अपने वादे को पूरा क्यों नहीं कर रही. वहीं कांग्रेस ने कहा कि वह जल्द से जल्द संसद में विधेयक लाना चाहती है.
लगभग 12 घंटे तक किसानों के साथ धरने पर बैठे राहुल ने कहा कि वह इसलिए किसानों के साथ हैं, क्योंकि वे अपने ‘अधिकार’ मांग रहे हैं और इसमें ‘कुछ भी गलत’ नहीं है.
राहुल ने नारे लगाती भीड़ के बीच कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब तक आपकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, मैं आपके साथ हूं. जब तक आपका काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक कांग्रेस पार्टी आपका साथ नहीं छोड़ेगी.
उन्होंने कहा कि एक अधिकारी ने उन्हें बताया था कि आंदोलन ‘नक्सलवाद’ की तरह है, लेकिन यहां आकर उन्हें पता चला कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रख रहे हैं. राहुल ने शनिवार को यहां हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच की भी मांग की.
इससे पहले सुबह चार बजे यहां पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह के साथ पहुंचने के बाद राहुल ने किसानों की बात सुनी और उनके साथ चाय पी. गांधी की गिरफ्तारी नाटकीय घटनाक्रम से भरी रही क्योंकि जब कांग्रेस के युवा नेता किसान रामपाल के घर पर रात बिताने की तैयारी कर रहे थे तो उत्तर प्रदेश पुलिस के कर्मी बड़ी तादाद में गांव पहुंच गये.
देर रात तक जोरदार नारेबाजी चलती रही जो एसपीजी सुरक्षा प्राप्त गांधी तथा अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस के गिरफ्तार करने तक चरम पर पहुंच गयी.
एसडीएम विशाल सिंह ने शाम के समय गांधी से मुलाकात कर क्षेत्र में उनकी सुरक्षा के समक्ष मौजूद खतरे को देखते हुए उनसे धरना खत्म करने का अनुरोध किया. सिंह ने सुरक्षा मुहैया कराने में भी असमर्थता जाहिर की क्योंकि नेता बिना किसी सूचना के गांव में पहुंचे थे.
हालांकि, गांधी ने अधिकारी से कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक वह गांव से नहीं जायेंगे. इन मांगों में हिरासत में लिये गये किसानों की रिहाई भी शामिल है. जब एसडीएम ने गांधी की मांगों के बारे में जानना चाहा तो उन्हें बताया गया कि राज्य सरकार किसानों की मांगों के बारे में पहले से ही अवगत हैं. किसान उनकी भूमि के लिये अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं जो यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण परियोजना के लिये अधिग्रहित की गयी है.
इससे पहले दिन में जिला प्रशासन और पुलिस को गांधी के तड़के चार बजे गांव पहुंचने की बात तब पता चली जब युवा नेता ने किसानों से मुलाकात करना और उनकी शिकायतें सुनना शुरू की.
कुछ ग्रामीणों ने पुलिस की कथित कार्रवाई के चलते उन्हें आयी चोटें भी राहुल को दिखायीं. ग्रामीणों ने दावा किया कि सभी युवा किसानों को या तो पुलिस ने हिरासत में ले लिया है या फिर वे डर के चलते गांव से चले गये हैं.
ग्रामीणों ने दावा किया कि वे 17 जनवरी से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. संघर्ष में अपने पुत्र के मारे जाने से शोक संतप्त एक वयोवृद्ध महिला गांधी को देखकर रो पड़ीं.
वरिष्ठ अधिकारियों ने गांधी से लौट जाने का अनुरोध किया. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि किसानों के लिये डरने का कोई कारण नहीं है क्योंकि पुलिस सिर्फ उन असामाजिक तत्वों को निशाने पर ले रही जो जिन्होंने पुलिस दल पर गोलियां चलायीं और दंगा किया.