राहुल गांधी की किसान संदेश यात्रा का तीसरा दिन है. बुधवार को उन्होंने 5 गांवों का रास्ता नापा और शाम होते-होते अलीगढ़ की सरहद में दाखिल हो गए.
राहुल कह रहे हैं कि उनका मकसद किसानों को हक़ दिलाना है, लेकिन विरोधी पार्टियां कह रही हैं कि राहुल यूपी की सियासी ज़मीन पर वोट उगाने निकले हैं.
मुख्यमंत्री मायावती के गढ़ में राहुल गांधी बांहें चढ़ाकर उनकी सियासी ज़मीन अपने पैरों से नाप रहे हैं. ग्रेटर नोएडा के भट्टा-परसौल से शुरू करके, वे अलीगढ़ में दाख़िल हो चुके हैं. पिछले तीन दिनों से राहुल गांव की ज़िंदगी जी रहे हैं. पेट भर रोटी-दाल और खटिया पर आराम.
बीती रात राहुल ने अलीगढ़ के सरोल गांव में हरेंदर नाम के किसान के घर गुज़ारी. घर के बाहर हैंडपंप पर नहाया. डिनर में दाल के साथ 3 रोटियां खाईं और फिर खटिया पर सो गए, वो भी बिना कोई बिस्तर बिछाए.
किसान संदेश यात्रा पर निकले राहुल किसी भी घर में चले जाते हैं. लोगों में उनके क़रीब पहुंचने की होड़ लग जाती है. जिस-जिस गांव में राहुल पहुंचे, चौपाल लग गई. हालांकि हर जगह बातें वहीं हुईं. ज़मीन और मुआवज़े की बातें, किसानों के लिए कांग्रेसी और ग़ैरकांग्रेसी सरकारों में फ़र्क की बातें.
राहुल जहां गए, किसानों से खुलकर मिले, तो कहीं किसान भी पूरा खुल गए. राहुल की यात्रा से एक बात और हुई, जिस रास्ते वो गुज़रे, वहां लोगों का धंधा चमक उठा.
राहुल के इस अभियान से कितना फ़ायदा किसानों को मिलेगा और कितना कांग्रेस पार्टी को, सियासी गलियारों में इस पर गुणा-भाग चल रहा है. फ़िलहाल देखना ये है कि यात्रा का तीसरा दिन राजनीतिक रस्साकशी के किन रास्तों से होकर गुज़रता है.