कैग की रिपोर्ट में रेलवे टिकटों में धांधली की बात सामने आई है. आजतक पहले ही आपको दिखा चुका है कि रेल रिज़र्वेशन में किस तरह ट्रैवेल एजेंटों का सिक्का चलता है और सही आदमी को टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है.
एक्सक्लूसिवः ये रेलवे की तत्काल सेवा है...
कैग की रिपोर्ट ने भी आजतक के ख़ुलासे पर मुहर लगा दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैवेल एजेंटों और बुकिंग क्लर्कों की मिलीभगत के चलते असल ज़रूरतमंद को टिकट नहीं मिल पाता. इसकी वजह से तत्काल आरक्षण स्कीम का मकसद भी पूरा नहीं हो रहा है.
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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि माल भाड़े की रिकवरी नहीं होने की वजह से रेलवे को क़रीब 272 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा. जबकि कबाड़ और कचरे के चलते क़रीब 243 करोड़ का चूना लगा.
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इंजन और बोगियों के डिज़ाइन और उनके अपग्रेडेशन से जुड़े मसलों की वजह से रेलवे को क़रीब 229 करोड़ की चपत लगी.
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