पर्थ में होने जा रही राष्ट्रमंडल देशों की सरकारों के प्रमुखों की बैठक से पहले, श्रीलंकाई मूल के एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के खिलाफ शहर की एक अदालत में मुकदमा दायर कर उन पर युद्ध अपराध के आरोप लगाए हैं.
पर्थ में होने जा रही चोगम (सीएचओजीएम) की बैठक में भाग लेने के लिए राजपक्षे ऑस्ट्रेलिया पहुंच रहे हैं. श्रीलंका में प्रवास के बाद ऑस्ट्रेलिया आए सेवानिवृत्त इंजीनियर जगन वारेन ने मजिस्ट्रेट के समक्ष कहा कि उसने गृह युद्ध खत्म होने के बाद अस्पतालों में और विस्थापितों के शिविर में जो कुछ अपनी आंखों से देखा उसे वह आज तक भूल नहीं पाया है.
तमिल अस्पतालों, स्कूलों और विस्थापितों के शिविरों में स्वयंसेवक का काम करने के लिए 2007 में श्रीलंका गए वारेन का आरोप है कि श्रीलंकाई बलों ने असैन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे अस्पतालों और शिविरों में सुनियोजित तरीके से हमले किए थे.
एबीसी ने वारेन के हवाले से कहा, ‘अगर आज वे लोग जीवित हैं तो यह केवल चमत्कार ही है कि वे मरने या घायल होने से बच गए.’ तमिल मूल निवासी वारेन तमिल विद्रोहियों के प्रति सहानुभूति रखता है. तमिल विद्रोहियों ने दशकों तक पृथक तमिल देश की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन चलाया और 2009 में श्रीलंकाई बलों ने उन्हें परास्त कर दिया.
वारेन ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती मरीज और इलाज का इंतजार कर रहे मरीज सैन्य बलों के हमलों में मारे गए. जिन मेडिकल स्टोर में दवा रखी जाती थी, उन्हें और एम्बुलेन्सों को नष्ट कर दिया गया. यह साफ देखा जा सकता था. मैंने खुद देखा है.’
अब ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ले चुके वारेन ने कहा कि 2008 में क्रिसमस के दिन ड्रोन विमानों ने एक अन्य अस्पताल को घेरा और फिर श्रीलंकाई वायुसेना के विमानों ने उस पर हमला किया.
उसने कहा, ‘अस्पताल की छत पर लगा रेड क्रॉस का चिह्न साफ दिखाई दे रहा था. ड्रोन विमान टोह लेते हैं इसलिए मुझे लग रहा था कि उन्हें अस्पताल की जानकारी थी और वह यह भी जानते थे कि इसे नुकसान पहुंचेगा.’ इस तरह की अन्य घटनाओं को लेकर युद्ध अपराध के तीन आरोपों के चलते श्रीलंकाई राष्ट्रपति को सम्मन जारी किया गया है.
वारेन ने कहा कि उसकी इच्छा है कि राष्ट्रपति के खिलाफ इन आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जाए, ‘क्योंकि वह कमांडर इन चीफ थे और उनकी जानकारी या दिशानिर्देशों के बिना कुछ नहीं हो सकता था. जो कुछ हुआ, उस पर उन्हें जवाब देना चाहिए.’
बहरहाल, श्रीलंका सरकार युद्ध अपराध के आरोपों से इनकार करती रही है. श्रीलंकाई सैन्य बलों पर नागरिकों पर सुनियोजित तरीके से हमले करने के आरोप नए नहीं हैं. लेकिन एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने एक ऑस्ट्रेलियाई अदालत में पहली बार ये आरोप लगाए हैं.