श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि दूसरे देशों में शरण लिए हुए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के हताश चरमपंथी उनके देश को बदनाम करने के मकसद से युद्ध अपराधों के आरोप लगा रहे हैं.
कैडेट अधिकारियों की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए राजपक्षे ने कहा कि इस तरह तरह के तत्वों के खिलाफ लड़ाई पहले ही शुरू कर दी गई है.
उन्होंने कहा, ‘पराजित चरमपंथी तत्वों ने बाहर के देशों में शरण ले रखी है और उनका ताजा हथियार हमारे नायकों पर युद्ध अपराधों के आरोप मढ़कर इस देश को बदनाम करना है.
हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे तत्वों के खिलाफ पहले ही लड़ाई शुरू कर दी है और इसे आगे भी जारी रखेंगे।’ इस महीने की शुरुआत में तमिल समुदाय के लोगों के भारी विरोध के चलते लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में राजपक्षे का प्रस्तावित संबोधन रद्द करना पड़ा था.
राजपक्षे ने कहा कि मानवीय अभियानों के क्रम में श्रीलंका अब एक नए चरण में दाखिल हो चुका है. उन्होंने उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में चलाए जा रहे विकास कार्यों का उल्लेख किया और कहा कि ये भी मानवीय अभियान का हिस्सा हैं.