जाइंट किलर राजस्थान ने पहली पारी की बढ़त के आधार पर फाइनल में मेजबान बड़ौदा को पछाड़कर पहली बार रणजी ट्राफी खिताब जीता.
चार विकेट पर 201 रन से आगे खेलने उतरी राजस्थान की टीम ने 129.1 ओवर में 341 रन बनाये. पहली पारी में 33 रन की बढ़त हासिल करने वाले राजस्थान ने इस तरह बड़ौदा को 375 रन का लक्ष्य दिया जिसके जवाब में मेजबान टीम 14 ओवर में चार विकेट पर 28 रन ही बना सकी.
राजस्थान की ओर से दीपक चाहर ने तूफानी गेंदबाजी करते हुए सात ओवर में 15 रन देकर तीन विकेट चटकाये.
राजस्थान का यह खिताब इसलिए भी अहम है क्योंकि टीम ने प्लेट वर्ग से रणजी ट्राफी फाइनल का सफर तय किया था.
इससे पहले दो जीवनदान पाने वाले अशोक मनेरिया (101) अपना शतक पूरा करने में सफल रहे. उन्होंने अपनी पारी के दौरान 149 गेंद का सामना किया. उन्हें आदित्य वाघमोरे ने अपनी ही गेंद पर लपका. इसके अलावा रश्मि परिदा ने भी 89 रन की पारी खेली. उन्हें भार्गव भट ने पगबाधा आउट किया. परिदा और मनेरिया ने पांचवें विकेट के लिए 165 रन की साझेदारी की.
{mospagebreak} मुर्तजा वाहोरा ने इसके बाद मधुर खत्री (18) और विवेक यादव (13) को पवेलियन भेजा. स्वप्निल सिंह ने इसके बाद चाहर को आउट करके राजस्थान का स्कोर नौ विकेट पर 282 रन कर दिया. विकेटकीपर रोहित झलानी (नाबाद 43) और पंकज सिंह (24) ने इसके बाद अंतिम विकेट के लिए 59 रन जोड़कर टीम की कुल बढ़त को 350 रन के पार पहुंचाया.
चाहर और पंकज ने इसके बाद दूसरी पारी में बड़ौदा के शीर्ष क्रम को धवस्त किया.
चाहर ने केदार देवधर (05) को विनीत सक्सेना के साथ हाथों कैच कराकर दूसरी पारी में राजस्थान को पहली सफलता दिलाई. दो गेंद बाद पंकज ने दूसरे सलामी बल्लेबाज जयकिशन कोलसावाला (13) को भी पवेलियन भेज दिया.
पारी के छठे ओवर में चाहर ने स्वप्निल सिंह को दूसरी स्लिप में आकाश चोपड़ा के हाथों कैच कराया जबकि वाघमोरे को भी पवेलियन भेजा जिससे मेजबान टीम का स्कोर चार विकेट पर 24 रन हो गया.
बाद में राजस्थान के कप्तान रिषिकेश कानिटकर ने जीत का श्रेय टीम प्रयास को दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं इस अहसास के बारे में बयां नहीं कर सकता, इन लड़कों के साथ खेलना सम्मान की बात है. यह संतोषजनक है कि हमें टीम के रूप में ऐसा किया, यह टीम प्रयास है, यह इस सत्र में हमारा मजबूत पक्ष रहा.’