राजधानी एक्सप्रेस में अब ‘सुपर एसी’ कोच भी लगाए जाएंगे. रायबरेली कोच कारखाने को इस परियोजना को पूरा करने का जिम्मा सौंपा गया है.
परियोजना में शामिल रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केवल 44 बर्थ वाले सुपर एसी कोच की डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है. रायबरेली कोच कारखाने को इसका एक मॉडल बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं. वर्तमान में राजधानी एक्सप्रेस के द्वितीय श्रेणी के एसी कोच में 55 बर्थ और तृतीय में 72 बर्थ होती हैं.
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सुपर एसी कोच का किराया अभी निर्धारित नहीं किया गया है. इसके द्वितीय श्रेणी एसी कोच के किराए से ज्यादा और प्रथम एसी श्रेणी के किराए से कम रहने की संभावना है. रायबरेली कोच कारखाने को प्रथम चरण में ऐसे 25 सुपर एसी कोच बनाने को कहा गया है.
अधिकारी ने बताया कि नए कोच का खास गुण यह होगा कि इनमें राजधानी के मौजूदा कोचों की तुलना में जगह ज्यादा होगी. इसके बाद हम ऐसे कोच दूसरी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी लगाने के बारे में विचार कर सकते हैं.
इन कोचों का निर्माण रेल बजट में प्रस्तावित किया गया था. इन नए कोच की खिड़कियां अपेक्षाकृत बड़ी होंगी और पैर रखने के लिए भी ज्यादा जगह होगी, खास तौर पर साइड की बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए.
कम वजन वाले ये सुपर एसी कोच स्टेनलेस स्टील के बने होंगे और इनमें सुरक्षा संबंधी सभी विशेषताएं होंगी. प्रस्तावित सुपर एसी कोच के अलावा रायबरेली कारखाना आधुनिक लिंक हॉफमैन बुश कोच भी बना रहा है. अधिकारी ने बताया कि कारखाने में छह एलएचबी कोच पूरी तरह तैयार कर लिए गए हैं.
इस कारखाने का उद्घाटन रायबरेली की सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2009 में किया था. संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह कारखाना हर साल लगभग 1,000 कोच बना कर रेलवे की बढ़ती हुई मांगों को पूरा करे.
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रति वर्ष 1,000 एलएचबी कोच बनाना है. ट्रेनों में परंपरागत कोच की जगह अब धीरे-धीरे उच्च गुणवत्ता वाले स्टील के बने कोच एलएचबी लगाए जाएंगे. वर्तमान में राजधानी और शताब्दी में ऐसे ही कोच हैं.
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