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आरुषि केस: सीबीआई को राजेश और नूपुर की भूमिका पर संदेह

आरुषि हत्याकांड को एक नया मोड़ देते हुए सीबीआई ने राजेश और नूपुर तलवार की भूमिका पर संदेह पैदा करते हुए आरोप लगाया है कि दंपति ने आरुषि का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक को प्रभावित करने की कोशिश की थी.

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आरुषि हत्याकांड को एक नया मोड़ देते हुए सीबीआई ने राजेश और नूपुर तलवार की भूमिका पर संदेह पैदा करते हुए आरोप लगाया है कि दंपति ने आरुषि का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक को प्रभावित करने की कोशिश की थी.

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हालांकि सीबीआई के इस आरोप को तलवार दंपति ने सिरे से खारिज कर दिया है. गाजियाबाद की अदालत में जमा की गई 30 पृष्ठ की क्लोजर रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि राजेश और नूपुर ने 16 मई की सुबह उत्तर प्रदेश पुलिस से कहा कि वह उनके घरेलू नौकर हेमराज को पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशन जाए और इसके पीछे से आरुषि का कमरा धो दिया.

आरुषि की 15 और 16 मई, 2008 की दरमियानी रात हत्या हुई थी. हेमराज का शव अगले दिन घर की छत पर मिला था. सीबीआई के मुताबिक, आरुषि के अभिभावकों ने नोएडा अस्पताल में आरुषि का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों को ‘प्रभावित’ करने की कोशिश की थी. नूपुर ने कहा, ‘यह बहुत अजीब और बेहूदा आरोप है. हम वे हैं, जो जांच आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.’

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उन्होंने कहा कि न तो वह और न ही उनके पति जानते थे कि पोस्टमार्टम कहां हो रहा है और जब उनकी बेटी का शव मिला तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने अलसुबह ही घटनास्थल को अपने कब्जे में ले लिया था. सीबीआई ने कहा कि आरुषि के सिर पर जो घाव था, वह राजेश की गोल्फ खेलने वाली छड़ी के आकार के समान था, जिसे दंपति ने घटना के एक साल बाद सौंपा, वह भी गहन पूछताछ के बाद. {mospagebreak}

हालांकि नूपुर का दावा है कि उन्होंने खुद ही गोल्फ खेलने की छड़ी सीबीआई को दी थी और एजेंसी ने कभी इस बारे में उनसे नहीं पूछा था. क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद आलोचनाओं का शिकार बन रही सीबीआई ने कहा, ‘अभिभावकों का आचरण संदेहास्पद रहा है.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि तलवार का नाम आरोपियों में शामिल था, पर ‘पर्याप्त सबूतों के अभाव में’ आरोपपत्र में दाखिल नहीं किया गया.

यह पूछे जाने पर कि सीबीआई ने अपनी जांच के इन पहलुओं के आधार पर राजेश और नूपुर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी केवल अनुमानों के आधार पर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर कार्रवाई नहीं कर सकती. तीनों नौकरों, कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान उन्हें निर्दोष पाया गया और इसलिए तीनों के खिलाफ मामले को बंद ही माना गया.

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मामले का विवरण देने वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि हत्याकांड में अभिभावकों और हेमराज के अलावा कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है. एक जून, 2008 को इस मामले की सुनवाई अपने हाथ में लेने वाली सीबीआई ने कहा कि तलवार के घर में उस दिन साढ़े दस बजे तक सब कुछ सामान्य था, जैसा वीडियो कैमरा की कुछ तस्वीरों में दिखाई दे रहा है.

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