भोपाल गैस त्रासदी के मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने बुधवार को कहा कि यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वारेन एंडरसन को छोड़ने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय से कई बार फोन आये थे और इस बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एंडरसन के समर्थन में एक भी शब्द नहीं कहा था.
अर्जुन सिंह ने राज्यसभा में भोपाल गैस त्रासदी संबंधी घटनाक्रमों पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भोपाल की धरती पर कदम रखते ही एंडरसन को गिरफ्तार करने का निर्णय उन्होंने ही किया था. वह चाहते थे कि इस मामले में एंडरसन की गिरफ्तारी हो जाए ताकि उसे उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जरूरत पड़ने पर उसे बुलाया जा सके.
सिंह ने कहा कि उस समय हालात ऐसे हो गए थे कि जब एंडरसन हवाई अड्डे पर पहुंचा था तो कई मीडियाकर्मी और प्रभावित लोगों के परिजनों को उसके आने का पता लग गया और वे वहां पहुंच गए थे. इस बात की आशंका थी कि गुस्साए लोग उसे पीट पीट कर मार डालेंगे. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव ने उनसे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से एंडरसन को छोड़ने के लिए कई बार फोन आ चुके हैं. {mospagebreak}
सिंह ने कहा कि उन्होंने इसका निर्णय मुख्य सचिव पर छोड़ दिया. सिंह ने कहा कि वह यह बात पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी से कह सकते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एंडरसन के समर्थन में या उसकी समस्या को दूर करने के लिए एक भी शब्द नहीं कहा.
अर्जुन सिंह ने कहा कि त्रासदी के लिए एंडरसन सीधे तौर पर जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि सरकार को उसके प्रत्यर्पण के लिए पूरे प्रयास करना चाहिए तथा हादसे के लिए पर्याप्त एवं पूर्ण मुआवजा मांगा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की की आगामी यात्रा के दौरान एंडरसन के प्रत्यर्पण और मुआवजे के लिए जोर देना चाहिए.
घटना के बारे में अपना पक्ष रखते हुए सिंह ने कहा कि उन्हें यह बात बेतुकी लगी कि एंडरसन सरकारी विमान से भोपाल से रवाना हुआ. लेकिन उन्होंने इस मामले में अधिक ब्यौरा नही देते हुए कहा कि वह इस बारे में विस्तार से नहीं कहना चाहते क्योंकि इससे पीड़ा और कटुता बढ़ेगी. {mospagebreak}
अर्जुन सिंह ने कहा कि भोपाल हादसे के बाद चार दिसंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भोपाल आये थे. उन्होंने प्रधानमंत्री को इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन राजीव गांधी ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. राजीव गांधी ने उनसे कहा कि इसके लिए कोई भी मुख्यमंत्री पर आरोप नहीं लगा रहा है.
सिंह ने कहा कि त्रासदी के बाद ‘मैंने अपने ही खिलाफ एन के सिंह आयोग का गठन किया था.’ उन्होंने कहा कि हादसे की रात उन्होंने विषाक्त गैस को महसूस किया था और कुछ लोगों ने उन्हें भोपाल छोड़कर जाने की सलाह दी थी. लेकिन वह मुख्यमंत्री होने के कारण भोपाल से बाहर नहीं गये.