भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन के खिलाफ अपने आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं से देश के अखबारों की सुखिर्यों में छाए बाबा रामदेव को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी जगह मिल रही है. विदेशों के कई अखबारों ने बाबा के आंदोलन और उस पर हुई पुलिस कार्रवाई के सामाचारों को प्रमुखता दी है. कई अखबारों ने इस कार्रवाई पर तीखी कलम चलाई है.
आस्ट्रेलिया के अखबार ‘द एज’ लिखता है, ‘बाबा रामदेव और उनके हजारों अनुयायियों के सामूहिक अनशन को कुचलने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. पुलिस का दावा है कि बाबा के पास सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध की अनुमति नहीं थी.’
अखबार ने लिखा, ‘बाबा के आंदोलन को हिंसक तौर पर खत्म कर दिया गया, लेकिन ऐसा लगता है कि उससे पहले ‘करिश्माई गुरू’ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए सरकार से समझौता करने में सफल हुए थे.’ इस खबर के मुताबिक, ‘रामदेव ने काले धन के मुद्दे और भ्रष्टाचार के घोटालों के आरोपों से घिरी सरकार के खिलाफ जो आंदोलन शुरू किया, उसमें 40,000 से भी ज्यादा लोग उनका साथ दे रहे थे.’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पुलिस की कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे बाबा रामदेव के हजारों अनुयायियों को वहां से हटा दिया, पर इस पूरी कार्रवाई पर सिसकते हुए, लेकिन विद्रोही से दिख रहे बाबा रामदेव ने प्रतिबद्धता जताई कि वह इससे विचलित नहीं होंगे. उन्होंने एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बवाल में बदलने के लिए सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया.’
अखबार ने लिखा है, ‘रामदेव ने इस कार्रवाई के कुछ घंटों बाद ही टीवी पर कहा कि सरकार मुझे मारना चाहती है. मेरी भूख हड़ताल खत्म नहीं हुई है. यह जारी रहेगी. मेरा आंदोलन जारी रहेगा.’ अमेरिकी अखबार ‘बोस्टन ग्लोब’ ने भी बाबा रामदेव के अनशन के खिलाफ हुई पुलिस कार्रवाई को जगह दी है.
अखबार लिखता है, ‘भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने हजारों अनुयायियों के साथ प्रदर्शन कर रहे एक योग गुरू ने कहा है कि राजधानी से निकाले जाने के बाद भी वह अपने प्रदेश में अपना अनशन जारी रखेंगे.’
इस खबर के मुताबिक, ‘बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों ने शनिवार को राजधानी में अनशन शुरू किया था. पुलिस का कहना है कि लगभग 5,000 लोगों के शामिल होने के लिए अनुमति प्राप्त समारोह में 40,000 से ज्यादा लोगों के आने के कारण पुलिस को बल प्रयोग के लिए बाध्य होना पड़ा.’
अखबार में कहा गया है, ‘रामदेव ने इस अभियान को ‘लोकतंत्र पर धब्बा और खुद को मारने की साजिश’ बताया है. उन्होंने आगे भी अपना अनशन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है.’