काले धन और भ्रष्टाचार के विरोध में बाबा रामदेव ने गुरुवार से रामलीला मैदान पर अपना आंदोलन शुरू कर दिया. पहले चरण में वह अपने समर्थको के साथ तीन दिन का सांकेतिक उपवास करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.
रामदेव ने कहा कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत दिल्ली नहीं आए हैं और न ही उनका इरादा सत्ता में बैठे लोगों को हटाने या उनकी जगह किसी और को बिठाने का है.
उन्होंने कहा, ‘हम किसी को बदनाम करने नहीं आए, बल्कि हिन्दुस्तान को बनाने आए हैं. सरकार की तरफ से हरीश रावत और पवन बंसल का बयान आया है कि उनके दरवाजे हमसे बातचीत के लिए खुले हैं और हम भी उन्हें बताना चाहते हैं कि हमारे दरवाजे भी बातचीत के लिए खुले हैं.’
रामदेव ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार एक कड़ा लोकपाल जल्द से जल्द पेश करेगी. उन्होंने कहा कि लोकपाल की लड़ाई खत्म नहीं हुयी है और वक्त आ गया है कि इसे पारित किया जाए.’ अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि ‘मजबूत’ लोकपाल बने ‘मजबूर’ लोकपाल नहीं.
अन्ना हजारे और उनकी टीम पर उन्होंने कहा कि अन्ना के ‘सामाजिक एजेंडे’ के साथ खड़ा रहूंगा लेकिन उनकी टीम पर कोई टिप्पणी कर विवाद पैदा नहीं करूंगा. भाषण के क्रम में इंदिरा गांधी की प्रशंसा करते हुए रामदेव ने कहा कि वह ऐसा कांग्रेस को खुश करने के लिए नहीं कर रहे हैं.
नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा किये जाने पर पैदा हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि वह मोदी के बुलाने पर नहीं गये थे बल्कि जैन गुरु के आमंत्रण पर वहां गये थे. उन्होंने कहा कि गुजरात गांधी और पटेल जैसे महापुरुषों की जन्मभूमि है, जो उनके आदर्श हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारी किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति के साथ कोई दुश्मनी नहीं है. और अगर सरकार ने हमारी मांगे मान ली तो हम सारा श्रेय उसे देंगे और वापस चले जाएंगे.’
आंदोलन की रणनीति की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि शाम पांच बजे के बाद पूरे हिन्दुस्तान के लोग अपने घर से बाहर निकलेंगे और ‘कैंडल मार्च’ करेंगे. रामदेव के दूसरे चरण के आंदोलन में उनके एजेंडा में कालेधन की वापसी के साथ साथ लोकपाल, सीबीआई को स्वतंत्र रखने और निर्वाचन आयोग, कैग, सीवीसी और सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को और अधिक पारदर्शी बनाने की मांग भी शामिल हो गयी है.
उन्होंने रामलीला मैदान आने से पहले राजघाट व शहीद पार्क में महात्मा गांधी व भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी. रामदेव गुरुवार को ही दिल्ली पहुंचे हैं. इससे पहले वह सोमवार से गुजरात में वल्लभभाई पटेल स्मारक पर ध्यान लगा रहे थे.
दिल्ली पुलिस ने रामदेव के आंदोलन के आयोजकों को 30 अगस्त तक के लिए रामलीला मैदान में जगह दी है. यहां हर दिन केवल 30,000 लोगों के जुटने की इजाजत दी गई है. रामदेव ने एक साल पहले भी इसी मैदान में ऐसा ही एक आंदोलन किया था. पुलिस की कड़ी कार्रवाई और एक महिला की मौत के साथ उस आंदोलन की समाप्ति हुई थी.