बाबा रामदेव अब हरिद्वार में अनशन जारी रखते हुए सत्याग्रह पर बैठेंगे. वे रविवार रात 9 बजे से सत्याग्रह पर बैठने वाले हैं.
इससे पहले बाबा रामदेव ने घोषणा की कि वे अब दिल्ली के निकट किसी नए स्थान पर सत्याग्रह करने जा रहे हैं. रामदेव ने स्पष्ट किया कि उनका अनशन अभी भी जारी है.
मीडिया से मुखातिब बाबा रामदेव ने कहा कि सत्याग्रह के नए स्थान की जानकारी रविवार शाम को 9 से 10 बजे के बीच दी जाएगी. रामदेव ने कहा कि यह उनके जीवन का ऐतिहासिक क्षण है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए मानवाधिकारों का भी खयाल नहीं रखा.
रामदेव ने आरोप लगाया कि उनके निजी सचिव की टांगें तोड़ी गईं. उन्होंने कहा कि पुलिसिया कार्रवाई के बाद एक महिला कार्यकर्ता को लकवा हुआ. उन्होंने आरोप लगाए कि उनके गले पर भी पुलिस ने फंदा डालने का काम किया. साथ ही रात के वक्त गिरफ्तारी पर भी रामदेव ने उठाए सवाल.
बाबा रामदेव ने दुखी स्वर में कहा कि कई कार्यकर्ता अब भी लापता हैं. बहरहाल, नए स्थान पर सत्याग्रह की घोषणा से एक बार फिर हलचल तेज हो गई है.
इससे पहले बीती मध्यरात्रि से जारी नाटकीय घटनाक्रमों के बाद बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रखने का ऐलान करते हुए सनसनीखेज दावा किया कि रामलीला मैदान पर उनकी हत्या करने की साजिश रची गयी थी.
दिल्ली से हिरासत में लिये जाने के बाद रामदेव को हेलीकॉप्टर के जरिये देहरादून भेज दिया गया, जहां से वे हरिद्वार पहुंचे. हरिद्वार पहुंचने के कुछ ही देर बाद बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में रामदेव ने बीती मध्यरात्रि के बाद हुए घटनाक्रमों का सिलसिलेवार ब्यौरा बताया और सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाये.
रामदेव ने भावुक स्वर में रोते हुए कहा कि सरकार की रामलीला मैदान पर लाशें बिछा देने की तैयारी थी और यदि हमारे कार्यकर्ता धर्य से काम नहीं लेते तो वहां हजारों लोग मारे जाते.
उन्होंने कल की घटना की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से करते हुए दावा किया, ‘‘रामलीला मैदान पर मुझे गिरफ्तार करने के बाद मेरा एनकाउंटर करने या मुझे गायब कर देने की तैयारी थी. वहां मेरी हत्या करने की साजिश थी. जब तीन जून को दिल्ली के एक होटल में भी हमारी सरकार से बातचीत चल रही थी, तब भी रामलीला मैदान पर बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी तैनात कर दिये गये थे.’’
रामदेव ने कहा, ‘‘यदि मेरे जीवन के समक्ष कोई खतरा उत्पन्न होता है तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया गांधी और कांग्रेस की होगी.’’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी. लेकिन आगे क्या रणनीति अपनायी जायेगी, इस पर उन्होंने कहा कि वह शाम तक खुलासा करेंगे.
उन्होंने कहा कि रविवार शाम और सोमवार को देश भर में उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीक से ‘काला दिवस’ मनायेंगे. योगगुरु ने कहा कि सरकार कालेधन पर अध्यादेश तो नहीं लायी, लेकिन उसने आपातकाल जैसा अत्याचार किया.
योगगुरु के चेहरे पर परेशानी और चिंता साफ देखी जा सकती थी. वह महिलाओं की उसी पोशाक में मीडिया से मुखातिब हुए, जिसे पहनकर वे मध्यरात्रि के बाद रामलीला मैदान से बाहर निकले थे. रामदेव ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत होने के बाद हमें यह धमकी दी गयी थी कि या तो हम बात मान लें या फिर परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहें, इसलिये आचार्य बालकृष्ण से यह झूठ बोलकर दबाव में एक खत पर दस्तखत कराये गये कि चिट्ठी दिखाकर प्रधानमंत्री को विश्वास में लेना है. उन्होंने कहा कि देर रात भी सरकार की ओर से जो चिट्ठी हमारे पास पहुंची, उसमें कालेधन के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था.
उन्होंने कहा, ‘‘काली रात को जब मैं याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरी आत्मा कांप उठती है. रामलीला मैदान पर कल मध्यरात्रि को जो हुआ वह बबर्रता की सारी हदें पार गया. मैंने वहां कार्रवाई करने आये पुलिसकर्मियों से निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर लाठियां नहीं बरसाने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन रामलीला मैदान पर पुलिस का दमन चक्र चलता रहा.
रामदेव ने सीधे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सिब्बल कुटिल और शातिर दिमाग के व्यक्ति हैं. उन्होंने हमारे साथ कुटिलता से चालें चलीं.’’ उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बारे में भी कहा, ‘‘जो लोग गैर-जिम्मेदार हैं और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं, उनके बारे में मैं टिप्पणी करना उचित नहीं समझता.’’
आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा प्रायोजित करने के आरोपों पर योगगुरु ने कहा कि उन्हें अन्य संगठनों और मुस्लिम समाज के लोगों का भी समर्थन था. तीन जून को तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भी उनसे फोन पर बात कर समर्थन जताया था. अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के बारे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं और सुरक्षित हैं.
रामलीला मैदान पर सिर्फ योग शिविर करने की ही अनुमति होने से जुड़े सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग के लिये हमने अनुमति ली थी और हज़ारों लोगों ने वहां योग किया भी, लेकिन योगासनों के बाद भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर जो उपवास किया गया, वह भी योग की मर्यादा और सीमा में आता है.
रामदेव ने कहा कि सरकार विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में कराने, भ्रष्टाचार के मुकदमों के निपटारे के लिये फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करने और लोक सेवा वितरण अधिनियम बनाने के लिये विधेयक पेश करने पर सहमत हो चुकी थी, लेकिन इस संबंध में वह लिखित आश्वासन नहीं दे रही थी.
उन्होंने कहा कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने को लेकर लिखित में आश्वासन नहीं देने के पीछे सरकार की यह दलील थी कि हम पहले अनशन खत्म कर दें.
रामदेव ने कहा कि सरकार के रुख से यह साफ होता है कि न तो वह लोकपाल का गठन करना चाहती है और न ही विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है. इसके पीछे कारण यह है कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के कई नेता बेनकाब हो जायेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘यह भी कहा जा रहा है कि मेरा अनशन प्रायोजित था. अगर प्रायोजित था तो फिर वहां मेरे समर्थकों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले क्यों चलाये गये.’’