पाकिस्तान के लाहौर शहर में दो सशस्त्र पाकिस्तानियों को गोली चलाकर मार डालने के आरोप में गिरफ्तार अमेरिकी राजनयिक रेमंड डेविस के तालिबान के साथ ‘घनिष्ठ संबंध’ थे और वह इस आतंकी समूह के लिए युवाओं की भर्ती कराने के काम में काफी ‘सक्रिय’ था.
तालिबान के साथ डेविस के संबंधों के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया. दूसरी ओर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जमात उद दावा ने डेविस को मौत की सजा देने की मांग की है. उसने अमेरिका पर देशभर में बम विस्फोट कराने का आरोप लगाया जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं.
अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने पंजाब प्रांत पुलिस के अज्ञात अधिकारियों के हवाले से खबर दी कि डेविस के तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान से संबंध थे. इससे एक दिन पूर्व अमेरिकी मीडिया ने कहा था कि अमेरिकी अधिकारी सीआईए के सुरक्षा ठेकेदार के रूप में काम कर रहा था. {mospagebreak}
अखबार ने पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा, ‘लाहौर में हुई हत्याएं एक तरह से हमारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए वरदान हैं जिन्हें शक था कि डेविस लाहौर और पंजाब के अन्य प्रांतों में आतंकी गतिविधियों की योजना तैयार करता है.’ अधिकारी ने कहा, ‘पूछताछ के दौरान तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों का खुलासा हुआ. डेविस तालिबान के लिए पंजाब के युवाओं की भर्ती में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था ताकि खूनी विद्रोह को बढ़ावा दिया जा सके.’
इस खुलासे के साथ ही पंजाब सरकार ने अदालत से आग्रह किया कि डेविस पर उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में मुकदमा चलाया जाए जिसे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वीकार कर लया. अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि डेविस के मोबाइल फोन के कॉल रिकॉर्ड में डेविस का 33 पाकिस्तानियों के साथ कथित संपर्क स्थापित हुआ जिनमें से 27 लोग प्रतिबंधित आतंकी संगठन तालिबान और लश्कर ए झंगवी के सदस्य हैं. {mospagebreak}
रिपोर्ट में दावा किया गया, ‘डेविस ऐसी योजना के तहत काम कर रहा था जिससे अमेरिका की यह बात साबित हो सके कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं.’ इसमें कहा गया, ‘इस मकसद के लिए वह तालिबान का एक समूह स्थापित कर रहा था जो उसकी कोशिश को सफल कर सके.’
पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने 2006 में अमेरिका के साथ एक गुप्त समझौता किया था जिससे सीआईए पाकिस्तान में गुप्त रूप से अपना अभियान चला सके. एक सूत्र ने अखबार से कहा कि हालांकि, ‘सरकार और सुरक्षा एजेंसियां यह जानकर आश्चर्यचकित रह गईं कि डेविस और उसके कुछ सहकर्मी ऐसी गतिविधियों में लिप्त थे जो समझौते के अनुरूप नहीं थीं.’
सूत्र ने दावा किया कि डेविस का काम पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में तालिबान और अलकायदा के संबंधों का पता लगाना था लेकिन इसकी जगह उसके तालिबान के साथ, ‘घनिष्ठ संबंध’ हो गए. जांचकर्ताओं को डेविस के पास से 158 चीजें मिलीं जिनमें नौ एमएम ग्लॉक पिस्तौल 75 गोलियां एक जीपीएस उपकरण एक इन्फ्रारेड टॉर्च एक वायरलेस सेट दो मोबाइल फोन एक डिजिटल कैमरा एक जीवनरक्षक किट पांच एटीएम कार्ड तथा पाकिस्तानी और अमेरिकी मुद्रा शामिल हैं. {mospagebreak}
खुफिया अधिकारियों ने दावा किया कि इन चीजों से साबित हो गया है कि डेविस ‘पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ गतिविधियों’ में संलिप्त था. डेविस को 27 जनवरी को लाहौर में उस समय गिरफ्तार किया गया जब उसने दो पाकिस्तानियों को गोली चलाकर मार दिया था.
अमेरिकी अधिकारी का दावा था कि ये लोग उन्हें लूटने की कोशिश कर रहे थे. आतंकी संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) के सैकड़ों समर्थकों ने डेविस को मौत की सजा दिए जाने की मांग करते हुए चौबुर्जी से कुरतबा चौक तक मार्च निकाला.
संगठन के नेताओं ने कहा कि जब तक डेविस को फांसी नहीं दी जाती तब तक वे अपना अभियान जारी रखेंगे. उधर पंजाब सरकार के अभियोजन विभाग ने आवेदन दायर कर मांग की कि डेविस पर कोट लखपत जेल में मुकदमा चलाया जाए जहां वह फिलहाल बंद है. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यूसुफ औजला ने सरकार के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया.