प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश पांच बड़े संपादकों से मुलाकात के दौरान लोकपाल मुद्दे पर खुद को शामिल किए जाने पर रजामंदी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि उन्हें लोकपाल के दायरे में आने पर कोई ऐतराज नहीं है लेकिन पार्टी में इस पर राय जुदा है.
वरिष्ठ संपादक आलोक मेहता ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री से बातचीत में कई मुद्दों पर उनसे सवाल किया गया. प्रधानमंत्री ने बताया कि दुनिया के कई देशों में स्थिति चिंताजनक, इसका प्रभाव सीधे भारत पर पड़ता है. इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भारत की आर्थिक स्थित अच्छी चल रही है.
बढ़ती महंगाई पर पूछे गए सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है.
गठबंधन की राजनीति पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गठबंधन में कठिनाईयां आती हैं, लेकिन सरकार को कोई खतरा नहीं है. कोई पार्टी फिलहाल चुनाव नहीं चाहती और इसलिए सरकार को कोई खतरा नहीं दिखता.
जिन संपादकों से प्रधानमंत्री ने मुलाकात की है वो हैं: आलोक मेहता, नई दुनिया के संपादक कुमार केतकर, दिव्य मराठी के संपादक एम के राजदान, पीटीआई के संपादक टी एन नाइनन, बिजनेस स्टैंडर्ड के संपादक राज चेंगप्पा, द ट्रिब्यून के संपादक |
प्रणब मुखर्जी के वित्त मंत्रालय में जासूसी कांड पर मनमोहन सिंह ने कहा कि यहां कोई जासूसी नहीं हुई है और वो आईबी की जांच से पूरी तरह संतुष्ट हैं.
प्रधानमंत्री की वरिष्ठ संपादकों के साथ यह दूसरी बैठक थी. इसके पहले सिंह ने इसी साल फरवरी में टीवी चैनलों के संपादकों से मुलाकात की थी. समाचार पत्रों के संपादकों के साथ सिंह ने आखिरी बार पिछले साल सितंबर में बातचीत की थी.