देश-दुनिया में इस वक्त सिर्फ एक ही नाम की चर्चा हो रही है, जो है बराक ओबामा. ओबामा के एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर अमेरिकी जनता ने ओबामा को दूसरा मौका किस बुनियाद पर दिया?
सबको साथ लेकर चलने में विश्वास
बराक ओबामा की छवि सबको साथ लेकर चलने वाले नेता की रही है. इस बात की पुष्टि जीत के बाद ओबामा के पहले संबोधन से भी हो जाती है. बराक ओबामा ने कहा है कि वे सभी पार्टियों को साथ लेकर चलेंगे और चुनावी वादों को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि देशभक्ति ही हमें महान बनाती है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सभी मिल-जुलकर चुनौतियों का मुकाबला करेंगे.
'विराट' व्यक्तित्व के धनी हैं ओबामा
ओबामा का व्यक्तित्व उनके प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी के मुकाबले ज्यादा 'विराट' है, जिसकी उनकी जीत में अहम भूमिका रही. ओबामा की बातों का उन्हें सुनने वालों पर जादू जैसा असर होता है. लंबे समय तक चले चुनाव प्रचार के बाद आखिरकार इसी 'जादू' का असर अब सामने आया है.
अर्थव्यवस्था में सुधार का भरोसा
अमेरिका की गिरती अर्थव्यवस्था को थामने के लिए ओबामा ने कई नीतिगत फैसले लिए, जिसका बाजार पर सकारात्मक असर हुआ. यह अलग बात है कि ओबामा के कुछ फैसले शुरू में जनता को रास नहीं आए, पर लोगों ने उनमें भरोसा बरकरार रखा. ओबामा पर अब विकास दर ऊपर पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी है.
थाम लिया 'सैंडी' तूफान
अमेरिका में भयंकर तबाही लाने वाले 'सैंडी' तूफान से निबटने के लिए बराक ओबामा ने तत्परता से काम लिया. उन्होंने सैंडी से तबाह हुए न्यूजर्सी के तटीय इलाकों का दौरा भी किया था.
आपदा से निपटने के उनके तरीके की जनता ने तारीफ की.
ओसामा का खात्मा भी एक कारण
बराक ओबामा ने जिस तरीके से दुनिया के 'नंबर एक' आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के 'खात्मे की स्क्रिप्ट' लिखी, उसकी हर अमनपसंद देश ने जमकर सराहना की. ओसामा के मारे जाने के पीछे निश्चित तौर पर बराक ओबामा का दृढ़ निश्चय ही काम कर रहा था. जब इतने सारे कारण एक साथ मौजूद हों, तो भला ओबामा को जीतने से कौन रोक सकता था???