2जी स्पेक्ट्रम की कीमतें 3जी स्पेक्ट्रम की कीमतों के साथ जोड़ने पर मौजूदा आपरेटरों से कड़े विरोध का सामना करने के बाद दूरसंचार नियामक ट्राई ने मंगलवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही सरकार को नयी सिफारिशें सौंपेगा.
ट्राई चेयरमैन जेएस शर्मा ने संवाददाताओं को बताया, ‘मई, 2010 की सिफारिशों में हमने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हम अपने अध्ययन के परिणाम से सरकार को अवगत कराएंगे. इसलिए अगले कुछ दिनों में सरकार को इससे अवगत कराया जाएगा.’ पिछले साल मई में ट्राई ने 2जी स्पेक्ट्रम की कीमतों को 3जी स्पेक्ट्रम की कीमतों के साथ जोड़ने के लिए प्रस्ताव पेश किया था. यह प्रस्ताव 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद पेश किया गया.
3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 67,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ. हालांकि, मौजूदा जीएसएम सेवा प्रदाताओं की ओर से कड़े विरोध के चलते ट्राई ने कहा था कि वह मुद्दे को नए सिरे से देखेगा और प्रस्ताव को अंतिम रूप देगा. शर्मा ने कहा, ‘यह (प्रस्ताव) स्पेक्ट्रम कीमत निर्धारण के संबंध में है जिसे भविष्य में अपनाया जाएगा.’
ट्राई की पहले की सिफारिशों में 6.2 मेगाहर्ट्ज से अधिक 2जी स्पेक्ट्रम रखने वाले आपरेटरों पर एकमुश्त शुल्क लगाने की बात शामिल थी. ट्राई ने कहा था कि 6.2 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम से परे प्रत्येक मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को 3जी नीलामी बोली से जोड़ा जाना चाहिए.
माना जा रहा है कि इस मामले में भारती और वोडाफोन जैसे दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों जिनके लाईसेंस अगले कुछ साल में नवीनीकरण के लिये आयेंगे उन्हें ट्राई का प्रस्ताव अमल में आने पर ऊंची कीमत चुकानी होगी. इससे पहले नियामक द्वारा दिसंबर 2010 तक प्रस्ताव सौंपे जाने की उम्मीद थी.