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'गुजरात दंगों से संबंधित रिकार्ड सही सलामत'

नरेन्द्र मोदी सरकार ने राज्य में वर्ष 2002 के दंगों से संबंधित खुफिया ब्यूरो के रिकार्ड के नष्ट होने के मुद्दे पर अब कहा है कि सभी ‘अहम’ रिकार्ड सही-सलामत और मौजूद हैं और सिर्फ अस्थायी प्रकृति के रिकार्ड नष्ट किए गए हैं.

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नरेन्द्र मोदी सरकार ने राज्य में वर्ष 2002 के दंगों से संबंधित खुफिया ब्यूरो के रिकार्ड के नष्ट होने के मुद्दे पर अब कहा है कि सभी ‘अहम’ रिकार्ड सही-सलामत और मौजूद हैं और सिर्फ अस्थायी प्रकृति के रिकार्ड नष्ट किए गए हैं.

गुजरात के गृह विभाग का कहना है कि सिर्फ कुछ रिकार्ड या आंकड़ें जो अस्थायी प्रकृति के थे या जिन्हें नियमों के मुताबिक पांच या दस साल में नष्ट करने के लिए चुना गया था वही नष्ट किए गए हैं. गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘2002 के दंगों के एसआईबी के संचार संबंधी रिकाडरें को स्थायी प्रकृति के तौर पर वर्गीकृत किया गया और उन्हें नष्ट नहीं किया गया है और वे उपलब्ध हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इन रिकार्डों को हमेशा के लिए सुरक्षित रखा गया है. अन्य रिकार्ड जो अस्थाई प्रकृति के हैं या माने जाते हैं, उन्हें वर्गीकरण के हिसाब से एक वर्ष, पांच वर्ष, 10 वर्ष या 30 वर्ष में नष्ट किया जाएगा.’ दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग के समक्ष राज्य सरकार का प्रतिनिधत्व करने वाले वरिष्ठ सलाहकार एस बी वकील ने पिछले माह बताया था कि सरकारी नियमों के अनुसार टेलीफोन रिकार्ड, अधिकारियों की गतिविधि रजिस्टर और दंगों से संबंधित राज्य खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) की व्हीकल लाग बुक को वर्ष 2007 में नष्ट कर दिया गया.

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दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसपर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार बार बार अपने बयान बदल रही है क्योंकि वह बहुत कुछ छिपाना चाहती है. प्रदेश सरकार की ओर से एक बहुत ही वरिष्ठ वकील ने कहा कि रिकॉर्ड को सामान्य तौर पर नष्ट किया गया. सिंघवी ने कहा कि किसी ने यह नहीं बताया कि जब उच्चतम न्यायालय सहित पांच से ज्यादा मामले चल रहे हैं तो रिकॉर्ड को कैसे नष्ट किया गया.

गृह विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘हम अब भी वकील का असल बयान प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि 2002 के दंगों के रिकार्ड उच्चतम न्यायालय, नानावटी आयोग तथा संबंधित पार्टियों सहित कई अदालतों में दाखिल किए गए हैं. अधिकारी ने कहा, ‘दंगों के सैकड़ों मामले हैं. अदालत और जांच एजेंसियों द्वारा मांगे गए सभी आकड़ों को उपलब्ध कराया गया है और सुरक्षित रखा गया है.’

उन्होंने कहा कि जो आंकड़े अदालतों या जांच एजेंसियों ने कभी नहीं मांगे उन्हें विभाग के नियमों के मुताबिक नष्ट किया जा सकता है. अधिवक्ता के रिकार्ड नष्ट करने संबंधी बयान के बाद गुजरात सरकार की विपक्षी कांग्रेस, दंगों के शिकार लोगों और उनके वकीलों द्वारा आलोचना की जा रही थी.

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