बिहार के गया जिले और आसपास के क्षेत्रों में फैले दिमागी बुखार (इंसेफलाइटिस) के कारण 23 अगस्त से अब तक 85 रोगियों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने कहा कि रोकथाम के लिए व्यापक और लगातार टीकाकरण किया जा रहा है और राज्य में इस महामारी के कारण मृत्यु दर 21 फीसदी है.
बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक सचिव डा संजय कुमार ने दिमागी बुखार के कारण मौत के मामले एक प्रश्न के जवाब में कहा, ‘दिमागी बुखार के कारण पीड़ितों की मौत की संख्या सामान्य तौर पर 35 फीसदी होती है अर्थात यदि सौ बच्चे भर्ती होते हैं तो उनमें 35 की मौत हो जाती है. बिहार में यह दर 21 फीसदी है.’ कुमार ने कहा कि दिमागी बुखार को रोकने के लिए गया और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक टीकाकरण के बाद अब नियमित टीकाकरण शुरू किया गया है. रोगवाहक नियंत्रण (मच्छर) के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मालाथियान का छिड़काव जारी है. इंसेफलाइटिस रोकने के लिए राज्य के छह जिलों में अब नियमित टीकाकरण होगा जो 18 से 24 महीने तक चलेगा.
राज्य में 23 अगस्त से अब तक गया, नवादा, औरंगाबाद तथा पड़ोस के झारखंड राज्य के चतरा जिले के 85 बच्चों की दिमागी बुखार के कारण गया के एएनएमसीएच में मौत हो चुकी है. अब तक 350 से अधिक मामले अस्पताल में आये हैं. अधिकतर बच्चों की मौत जापानी इंसेफलाइटिस के कारण हुई है.
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जून महीने में भी दिमागी बुखार के मिलते जुलते लक्षण वाली बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर तथा आसपास के जिलों में हुआ था जिसमें करीब 60 बच्चों की मौत हो गयी थी.
उन्होंने बताया कि राज्य में दिमागी बुखार से प्रभावित रहने वाले 485 गांवों की पहचान कर ली गयी है जहां नियमित टीकाकरण किया जाएगा.