गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को रोकने में कथित तौर पर उनकी ओर से कार्रवाई नहीं किये जाने पर फैसला सुनाने से इनकार कर दिया और मामले में निर्णय के लिए उसे अहमदाबाद में संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजा.
न्यायमूर्ति डी के जैन की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दंगों के मामलों में जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को उसकी अंतिम रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष दाखिल करने को कहा. मजिस्ट्रेट से कहा गया है कि मोदी तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों समेत 63 अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने या नहीं करने का फैसला करें. पीठ ने स्पष्ट किया कि उसे दंगों के मामले में आगे निगरानी रखने की जरूरत नहीं है. पीठ में न्यायमूर्ति पी सताशिवम और न्यायमूर्ति आफताब आलम भी शामिल हैं.
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पीठ ने कहा कि यदि मजिस्ट्रेट मोदी तथा अन्य लोगों के खिलाफ कार्यवाही को वापस लेने का फैसला करते हैं तो उन्हें दंगों के दौरान मारे गये सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करनी होगी जिन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी.
अदालत ने जाकिया की याचिका पर यह फैसला सुनाया. जाकिया ने आरोप लगाया था कि मोदी और सरकार के आला स्तर के 62 अधिकारियों ने जानबूझकर प्रदेश में भड़के दंगों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. गुजरात में 27 फरवरी, 2002 को गोधरा ट्रेन कांड के बाद दंगे भड़क गये थे. जाकिया के पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में मारे गये थे.
जाकिया ने शीर्ष अदालत से कहा कि दंगों के बाद उन्हें रोकने के लिए मोदी की ओर कार्रवाई नहीं होने के उसके आरोपों में एसआईटी को उचित जांच करनी चाहिए. एसआईटी के प्रमुख पूर्व सीबीआई निदेशक आर के राघवन हैं.
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शीर्ष अदालत ने पहले मामले की जांच का काम एसआईटी को सौंपा था जिसने अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की. एसआईटी ने अपनी सीलबंद जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद अदालत ने न्यायमित्र के तौर पर काम कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन से एसआईटी की जांच के परिणामों का विश्लेषण करने और तथा इस पर एक गोपनीय रिपोर्ट जमा करने को कहा. रामचंद्रन ने अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
अदालत ने एसआईटी व रामचंद्रन की रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद मामले में आगे फैसला लेने के लिए उसे अहमदाबाद में संबंधित मजिस्ट्रेट को वापस भेज दिया. दंगों के नौ मामलों में पीठ की मदद कर रहे रामचंद्रन ने शीर्ष अदालत के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
अदालत ने रामचंद्रन से एसआईटी की जांच रिपोर्ट के नतीजों का विश्लेषण करने, गवाहों के बयान लेने और जरूरत पड़ने पर उनसे बातचीत करने के लिए कहा. पीठ ने 28 जुलाई को कहा था कि वह रामचंद्रन की रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाएगी. अदालत ने राज्य सरकार की एक याचिका को भी खारिज कर दिया था जिसमें रिपोर्ट की प्रति मांगी गयी थी.