पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में कहा कि अनिच्छुक किसानों को अधिग्रहीत जमीन लौटाना जनहित में है और परिभाषित करता है कि ऐसे किसान अपनी जमीन के बदले में दिये गये मुआवजे को नहीं कबूल कर रहे.
सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास अधिनियम, 2011 को चुनौती देने वाली टाटा मोटर्स लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी ने सरकार से पूछा था कि क्या अधिग्रहीत जमीन की वापसी जनता के उद्देश्य से की जा रही है.
महाधिवक्ता अनिंद्य मित्रा ने कहा कि 1894 के भूमि अधिग्रहण विधेयक में अनिच्छुक किसानों के लिए कोई प्रावधान नहीं है लेकिन सिंगूर अधिनियम में इस तरह का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि यह पूरे देश में एक बहुत बड़ा मुद्दा है और उच्चतम न्यायालय ने भी हाल के कुछ मामलों में अनुपयुक्त अधिग्रहण में किसानों को भूमि लौटाने की इजाजत दी है.
मित्रा ने कहा कि जब अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होती है तो सभी जमीन मालिक देना नहीं चाहते लेकिन जब वे मुआवजा स्वीकार कर लेते हैं तो उनकी अनिच्छा खत्म हो जाती है और अधिग्रहण को चुनौती देने का उनका अधिकार समाप्त हो जाता है.
जो व्यक्ति मुआवजा स्वीकार कर लेता है उसका अनिच्छा दिखाना खत्म हो जाता है लेकिन जो मुआवजा नहीं स्वीकार करते, अनिच्छुक होते हैं. मामले में आगे सुनवाई शुक्रवार को होगी.