अन्ना हज़ारे पक्ष द्वारा चुनाव सुधार की मांगों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि वह लोगों को निर्वाचित प्रतिनिधियों को ‘नामंजूर करने’ (राइट टू रिजेक्ट) या उन्हें ‘वापस बुलाने’ (राइट टू रिकॉल) का अधिकार देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह के नियम देश को अस्थिर कर देंगे.
चेहरा पहचानें, जीतें ईनाम. भाग लेने के लिए क्लिक करें |
एक कार्यक्रम में कुरैशी ने कहा कि यह भारत में संभव नहीं है, इससे देश अस्थिर हो जाएगा. जहां कहीं भी असंतोष हुआ लोग जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाना शुरू कर देंगे.
आजतक LIVE TV देखने के लिए यहां क्लिक करें
उन्होंने कहा कि मतदान में वापस बुलाने का अधिकार शामिल होने से इसका दुरुपयोग राजनीतिक मकसद से हो सकता है और खासतौर पर कश्मीर व पूर्वोत्तर के प्रदेशों में हो सकता है जहां लोग पहले ही खुद को अलग थलग महसूस करते हैं.
कुरैशी ने कहा कि हमें देश के लिए हर चीज का प्रभाव देखना होगा. उन्होंने इसके बजाय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में नियम 49-ओ के तहत एक अलग बटन रखे जाने का समर्थन किया, जिसके माध्यम से मतदाता उम्मीदवारों के प्रति अपनी अप्रसन्नता जाहिर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि नापसंदी के अधिकार की नकारात्मक शक्ति के बजाय आप अच्छे उम्मीदवार को क्यों नहीं चुनते.