भारत की नदियों में प्रदूषण को लेकर चिंता जताते हुए पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि यमुना में पानी नहीं है और हम सभी देखते हैं कि वहां हरियाणा और दिल्ली की औद्योगिक ईकाइयों का कचरा डाला जाता है.
रमेश ने विश्व वानिकी दिवस पर आयोजित एक समारोह में कहा, ‘आपको यमुना में कोई पानी नहीं मिलेगा. वहां जो है वह हरियाणा और दिल्ली की औद्योगिक ईकाइयों का कचरा है जिसे हम यमुना कहते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमें हरियाली से जुड़ी परियोजनाएं शुरू करने से पहले उन कारणों को दूर करना होगा जिनसे हरियाली खत्म होती है.
हरियाली खत्म होने का एक बड़ा कारण औद्योगिक निर्माण है.’ मंत्री ने कहा कि जनसंख्या का दबाव और विकास के नाम पर किए जाने वाले कार्यों से देश की नदियों और वनों को गहरा नुकसान हुआ है. रमेश ने कहा, ‘यह एक बड़ी चुनौती है जिसका हम आज सामना कर रहे हैं. हमें वनों का संरक्षण और अपनी नदियों को स्वच्छ रखते हुए आर्थिक वृद्धि हासिल करनी होगी.’ {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘हमारी संस्कृति और परंपराओं ने हमें वनों और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना सिखाया है. सरकार इस मुहिम में जन सहयोग से ही सफल हो पाएगी.’ रमेश ने कहा कि ‘वन बचाओ’ आंदोलन में महिलाएं आगे रही हैं और उनकी भागीदारी से हम अपना लक्ष्य हासिल कर पाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण को बचाने के बारे में जागरूकता आज बेहद जरूरी है और स्कूलों, कालेजों तथा गैर सरकारी संगठनों को हमारा पर्यावरण संरक्षित रखने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए.’ वन महानिदेशक पी जे दिलीप कुमार ने कहा कि वन एवं प्राकृतिक संसाधन हमारे पर्यावरण को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारा जीवन हमारे आसपास की हरियाली पर निर्भर करता है.’ इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय वन वर्ष 2011 के लिए एक कैलेंडर भी जारी किया गया. पूर्व में आयोजित चित्रकला स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए. इन स्पर्धाओं में करीब 30 स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया था.