मध्यप्रदेश में सड़कों की खराब हालत और बिजली की कमी को मुद्दा बनाकर दो विधानसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा पिछले आठ बरस से सत्ता सुख ले रही है, लेकिन अब राज्य में सड़कों की खराब हालत खुद उसी के गले की फांस बनती दिख रही हैं.
मध्यप्रदेश में भाजपा वर्ष 2003 में खराब सडकों और बिजली की कमी के चलते सत्ता में आई थी लेकिन इन दिनों पूरे प्रदेश में सडकों की दुर्दशा को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस सरकार ने कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के शासनकाल को भी पीछे छोड दिया है.
केन्द्र सरकार द्वारा पिछले एक साल के दौरान रखरखाव नहीं किये जाने से राष्ट्रीय राजमार्गों की हालात पहले से ही खराब थी, लेकिन इस साल समूचे प्रदेश में अच्छी बरसात के चलते राजकीय राजमार्गो की हालत भी बेहद खराब है और सड़कों पर बडे बडे गड्ढों के चलते वाहनों का चलना बेहद दूभर हो गया है, जिससे दुर्घटनाओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
ऐसा नहीं है कि प्रदेश के दूरदराज के इलाकों की सड़कों की हालत खस्ता है, राजधानी भोपाल में ही सडकें इतनी खराब हो गयीं हैं कि वाहन चलाना बेहद कठिन हो गया है. राजधानी की सडकों पर अनेक स्थानों पर दो दो फुट गहरे गड्ढे देखे जा सकते हैं. वाहनों को इन गड्ढों से बचाते हुए निकालना पडता है बहुत बार यही समझ में नहीं आता कि सडकों पर गड्ढे हैं कि गड्ढों में सडकें.
प्रदेश के अन्य शहरों की भी ऐसी ही हालत है. प्रदेश में सडकों की खराब हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो सफर सडक मार्ग से पहले चार घंटे में पूरा हो जाता था, अब उसी को पूरा करने में आठ घंटे से भी अधिक का समय लग रहा है.
सड़कों की खराब हालत के मुद्दे पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा जहां आंदोलन के मूड में है, वहीं भाजपा नेता भी दबे स्वर में हालात खराब होने की बात स्वीकार करते हुए कहते हैं कि अगर सड़कों की हालत ठीक नहीं की गई तो भाजपा का तीसरी बार सत्ता में आने का सपना पूरा नहीं हो पायेगा.
कांग्रेस ने इसी सप्ताह पूरे प्रदेश में खराब सडकों को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के नेतृत्व में बेशरम की झाड़ियां लेकर प्रभावी प्रदर्शन किया था. आंदोलन के तहत कांग्रेसियों ने जनता को होने वाली परेशानी को देखते हुए चक्काजाम तो नहीं किया, लेकिन जिला स्तर पर धरना दिया गया.
कांग्रेस महासचिव का कहना है कि दरअसल भाजपा शासनकाल के दौरान सडकों की गुणवत्ता की ओर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण प्रदेश में सडकों की हालत इतनी खराब हो गयी है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि कुछ माह पहले ही बनायी गयीं सडकें भी पूरी तरह उखड़ गई हैं.
सिंह का आरोप है कि पूरे प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं को सडकों के ठेके दिये गये हैं और इन लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये ही सडकों की गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया है. विधान सभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह का भी कहना है कि भाजपा ने पूरे प्रदेश में सडकों का बंटाढार कर दिया है और कांग्रेस इसके लिये भाजपा सरकार को विधान सभा में घेरेगी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि सड़क निर्माण तथा मरम्मत के कार्य सही ढंग से किये जायें. उन्होंने कहा है कि इस कार्य में एक-एक पैसा ठीक से लगे और गुणवत्ता से कहीं समझौता नहीं हो. उन्होंने कहा कि गुणवत्ता नियंत्रण के लिये सडक निर्माण विशेषज्ञों से स्वतंत्र मूल्यांकन कराया जाये.
लोक निर्माण विभाग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में 10 हजार 500 किलोमीटर सडकों में पैच वर्क अथवा गड्डों की मरम्मत का कार्य होना है जबकि कुल 4500 किलोमीटर सड़क का नवीनीकरण और 1150 किलोमीटर सडकों के पुनरोद्धार का कार्य कराया जाना है.