भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू द्वारा बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर दिए गए बयान के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों ने बिहार विधान परिषद के बाहर सोमवार को सरकार विरोधी नारेबाजी की.
बिहार विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होने के पूर्व प्रतिपक्ष के नेता गुलाम गौस के नेतृत्व में राजद सदस्यों ने सदन के मुख्यद्वार पर हाथों में पोस्टर लिए हुए प्रेस की आजादी को लेकर नारे लगाए.
गौस ने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार के कार्यकाल में पिछले पांच सालों में राज्य आपातकाल जैसी स्थिति है, जो कि देश में लगे आपातकाल के उस दौर की याद दिलाती है, जब प्रेस की आजादी समाप्त कर दी गई थी और सरकार के मुताबिक समाचार छापने के लिए अखबार सहित अन्य मीडिया संगठनों को बाध्य किया जाता था.
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में भी वर्तमान सरकार के शासनकाल में पत्रकारों और अखबारों के मालिकों को धमकियां दी जाती है कि उनके लायक खबर नहीं छपी तो सरकारी विज्ञापन बंद कर दिया जाएगा और सरकार के विरूद्ध समाचार देने वाले पत्रकारों का स्थानांतरण करने का दबाव अखबार मालिकों पर डाला जाता है.
गौस ने कहा कि पत्रकारिता देश के चौथा स्तम्भ हैं और इसकी आजादी पर पाबंदी लगाने वाले को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है. गौस ने कहा कि पीसीआई के अध्यक्ष न्यायमूर्ति काटजू ने भी बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने राज्य सरकार अखबारों को विज्ञापन देने में मनमानी नहीं करे और जिस अखबार को जितना हक मिलना चाहिए वह उसे केंद्रीय मापदंड के अनुसार दिया जाना चाहिए, अपना पैमाना नहीं तय करना चाहिए और सरकार विरूद्ध समाचार लिखने वाले पत्रकारों का स्थानांतरण करने का दबाव अखबार मालिकों पर नहीं डाला जाना चाहिए.