scorecardresearch
 

चीन की लीची को चुनौती देगी बिहार की शाही लीची

वैश्विक बाजार में चीन और थाइलैंड की लीची को अब बिहार की शाही लीची टक्कर देती नजर आएगी. इसके लिए राज्य की प्रसिद्ध शाही लीची की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है.

Advertisement
X

वैश्विक बाजार में चीन और थाइलैंड की लीची को अब बिहार की शाही लीची टक्कर देती नजर आएगी. इसके लिए राज्य की प्रसिद्ध शाही लीची की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है.

Advertisement

वैश्विक बाजार में बढ़ी प्रतियोगिता के कारण राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने बिहार के उत्पादकों के लिए एक वर्ष की अवधि के लिए एक कार्य योजना तैयार की है, जिसमें राज्य सरकार भी मदद करेगी. राज्य में लीची की उत्पादकता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वर्ष 2001 में मुजफ्फरपुर में लीची के लिए एक राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना की है.

राज्य में ऐसे तो कई जिलों में लीची की खेती की जाती है लेकिन मुजफ्फरपुर लीची की खेती का मुख्य केंद्र है. राष्ट्रीय शोध संस्थान के निदेशक विशाल नाथ ने बताया कि अच्छी फसल की जिम्मेवारी खुद किसान उठाएंगे. उन्होंने बताया कि बागबानी (हॉर्टिकल्चर) मिशन के तहत अच्छे प्रबंधन और उत्तम गुणवत्ता के मद्देनजर एक कार्यक्रम तैयार किया गया है, जिसके तहत बुधवार से प्रशिक्षकों द्वारा लीची के किसानों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिया गया.

Advertisement

उन्होंने बताया कि शाही लीची की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है लेकिन इसे और उत्तम करने की तैयारी चल रही है, जिसमें तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. यह प्रशिक्षण राज्य के पांच लीची उत्पादक जिलों मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, मोतिहारी और सीतामढ़ी के किसानों को दिया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण प्रखंड स्तर तक के किसानों को दिया जाएगा. एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया कि योजना और किसानों की मेहनत सफल हुई तो एक एकड़ में 10 लाख तक की आमदनी हो सकेगी. मिट्टी के स्वास्थ्य और कीट प्रबंधन की भी व्यवस्था इस योजना में की गई है. योजना पर काम करने वाले किसानों को सरकार आर्थिक सहायता भी देगी. इस योजना से विभिन्न कारणों से होने वाली 20 से 25 प्रतिशत लीची की क्षति को रोका जा सकेगा.

उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में थाइलैंड और चीन ने लीची की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है. प्रतियोगिता में बने रहने के लिए बिहार को भी इस पर ध्यान देना होगा. बिहार की शाही लीची की सबसे अधिक मांग ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि गुणवत्ता में सुधार हुआ तो निर्यात बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. राज्य में शाही, चाइना, लौगिया, बेखना सहित कई प्रकार की लीची का उत्पादन किया जाता है लेकिन यहां शाही और चाइना लीची का उत्पादन सर्वाधिक होता है. देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है. बिहार में कुल 30,600 एकड़ भूमि में लीची की खेती की जाती है.

Advertisement
Advertisement