सीबीआई ने बुधवार को कहा कि उसने हरियाणा के पूर्व पुलिस प्रमुख एसपीएस राठौर के खिलाफ रुचिका गिरहोत्रा के परिवार की ओर से लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं पाया और उसने यहां की एक अदालत में मामले को बंद करने के लिए रिपोर्ट दाखिल की.
गौरतलब है कि राठौर 1990 में रुचिका से की गई छेड़खानी के मामले में 18 माह के कारावास की सजा काट रहे हैं. सीबीआई ने सभी आठ आरोपों का एक-एक कर खंडन किया जिसे रुचिका के पिता एस सी गिरहोत्रा और उसके भाई आशु ने लगाया था.
आशु ने आरोप लगाया था कि उसे अर्धनग्न अवस्था में घर ले जाया गया था और राठौर के इशारे पर उसके खिलाफ आटो चोरी के संबंध में झूठे मामले दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने यह कहते हुए मामले को बंद करने के लिए रिपोर्ट दाखिल की कि रुचिका के पिता और भाई की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं. अदालत ने गिरहोत्रा और आशु को नोटिस जारी किया. {mospagebreak}
पहले मामले में रुचिका के पिता ने पुलिस में दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में कहा था कि 28 दिसंबर 1993 को उनकी बेटी के जहर खा लेने के बाद राठौर ने उन्हें रुचिका को चंडीगढ़ स्थित पीजीआई ले जाने को मजबूर कर दिया और पोस्टमार्टम के दौरान पुलिस ने नहीं बुलाया गया.
राठौर उस वक्त महानिरीक्षक (दूरसंचार) थे. अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने दावा किया कि आरोपों की दस्तावेजी साक्ष्य और गवाहों के बयान से पुष्टि नहीं हो सकी. मामले को बंद करने संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जांच में खुलासा हुआ है कि रुचिका ने 28 दिसंबर 1993 की सुबह अपने पंचकूला स्थित घर पर जहर खा लिया और उसे गिरहोत्रा और उनकी दूसरी पत्नी वीना खुद पीजीआई अस्पताल ले गए थे.’
सीबीआई ने दावा किया कि पीड़िता को पहले उसके पिता और सौतेली मां पंचकूला के सेक्टर-8 स्थित नर्सिंग होम ले गए जहां से उसे पीजीआई भेज दिया गया क्योंकि इलाके के सामान्य अस्पताल में निर्माण कार्य चल रहा था. पीजीआई चंडीगढ़ में रुचिका का नाम उसके पिता ने ‘रूबी’ बताया. {mospagebreak}
रूबी रुचिका का घर का नाम था. परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस निष्कर्ष की पुष्टि की है. गिरहोत्रा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसका शव अस्पताल के अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और उन्होंने पूरी रात मुर्दाघर के बाहर काटी थी.
हालांकि, सीबीआई ने गिरहोत्रा के कुछ रिश्तेदारों का बयान दर्ज किया जिसमें उन्होंने कहा कि वह तब घर लौट गए थे जब चिकित्सकों ने रुचिका की मौत और उसका शव अगले दिन दिए जाने के बारे में सूचना दी थी.
आशु के खिलाफ कथित तौर पर झूठे मामले दर्ज किए जाने के आरोपों पर सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान उसने पाया कि उसका नाम अपराध में शामिल उसके कथित साथियों में से एक संदीप वर्मा ने लिया था. गौरतलब है कि रुचिका छेड़खानी मामले में सत्र अदालत ने राठौर की सजा छह माह से बढ़ाकर 18 माह कर दी थी.