2जी स्पेक्ट्रम घपले में सरकार को उच्चतम न्यायालय में एक बार फिर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. शीर्ष अदालत ने इसकी सीबीआई जांच की निगरानी करने वाले मुख्य सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस के नैतिक अधिकार पर सवाल खड़ा किया, क्योंकि वे भी किसी समय दूरसंचार सचिव रह चुके हैं.
न्यायालय ने कहा, ''सीबीआई, सतर्कता आयुक्त के अधीन काम कर रही है और वे (थॉमस) उस अवधि में दूरसंचार सचिव रहे थे, जिसका इस मामले से ताल्लुक है. उनके लिए तटस्थ भाव से जांच की निगरानी करना कठिन होगा. '' 2जी स्पेक्ट्रम से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और अशोक कुमार गांगुली की खंडपीठ ने कहा, ''उन्होंने उस कार्य को उचित ठहराया था, जो आज इस अदालत और सीबीआई की जांच के दायरे में है. उनके लिए इस जांच की तटस्थ भाव से निगरानी करना कठिन होगा.''
खंडपीठ ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को 'दिमाग को चकरा देने वाला' बताया और कॉरपोरेट लाबिस्ट नीरा राडिया की कई लोगों से बातचीत की टैप को संरक्षित रखने संबंधी एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा. एक याचिका में कहा गया है कि राडिया की टेलीफोन पर इस बातचीत में राजनेताओं, नौकरशाहों तथा पत्रकारों की सांठगांठ का खुलासा किया गया और इन्हें नष्ट किया जा सकता है.{mospagebreak}
न्यायालय 2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े मामले में गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से याचिका पर सुनवायी कर रहा है. इसे प्रशांत भूषण ने दायर की है. उल्लेखनीय है कि राडिया की प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा से लेकर कई पत्रकारों तथा नौकरशाहों से फोन पर बातचीत के टैप से खासा विवाद मचा हुआ है.
मंगलवार को सरकार के रवैये में भी अचानक बदलाव देखने को मिला, जो कि जांच की उच्चतम न्यायालय द्वारा निगरानी का विरोध करती रही है. सरकार के रवैये में यह बदलाव ऐसे समय में आया है, जबकि मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच का दबाव बढ़ रहा है और संसद बीते 13 दिन से ठप है.
सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने अदालत को यह समझाने की अपनी ओर से पूरी कोशिश की कि निमयों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और सरकार ने केवल तेजी दिखाई थी. अदालत ने स्पेक्ट्रम आवंटन के तरीके पर अपनी नाराजगी व्यक्त करने में कोई कोताही नहीं की. खंडपीठ ने इस कथित घपले में बदनाम हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भी बहुत तेज (डायनामिक) थे. न्यायालय ने कहा, ''वह भद्रपुरुष (निसंदेह रूप से राजा को संदर्भित) बहुत तेज (डायनामिक) थे. उनकी तेजी तो कैग की रपटों में परीलक्षित होती है.''{mospagebreak}
वकील प्रशांत भूषण ने नीरा राडिया की रतन टाटा, सांसदों, पूर्व नौकरशाहों तथा पत्रकारों से बातचीत के कुछ अंशों को पढ़कर सुनाया तो न्यायालय ने कहा, ''हम बीते 28-30 साल केवल गंगा में गंदगी की ही बात कर रहे हैं. यह प्रदूषण तो दिमाग को चकरा देने वाला है. हम इस कथित घोटाले पर भारत के नियंत्रक एवं महाहालेखा परीक्षक (कैग) की रपट आने के बाद दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा ने इस्तीफा दे दिया. हम मायावी दुनिया में नहीं जीते हैं. अगर शांति है, वास्तविक दुनिया गांवों और वनों में है.''
न्यायालय ने कहा, ''यह चिंता (प्रदूषण) समूचे समुदाय से जुड़ा है.'' राडिया की बातचीत की टैपों से सामने आये आरोपों पर शीर्ष न्यायालय ने कहा, ''इससे तो यही लगता है कि हम किसी शादी-ब्याह की बातचीत सुन रहे हों.'' सुब्रमण्यम ने न्यायालय को आश्वस्त किया कि सरकार से आवश्यक निर्देश लेने के बाद वे सीवीसी के मामले पर खंडपीठ के सवालों का जवाब देंगे.
इसी मामले में सीबीआई की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने सीवीसी कानून का हवाला दिया और कहा कि ऐसी स्थिति में सीवीसी की जिम्मेदारी किसी एक सतर्कता आयुक्त को देने का प्रावधान है.{mospagebreak}
वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें ऐसे प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि एक सतर्कता आयुक्त, आर श्रीकुमार की ‘प्रतिष्ठा अच्छी है.’ लेकिन उन्होंने कहा कि मामले की निगरानी का जिम्मा किसी सतर्कता आयुक्त को देने के साथ साथ न्यायालय एक अन्य अधिकारी भी नियुक्त जिससे जांच की निष्पक्ष निगरानी सुनिश्चित हो.
इससे पहले न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि यदि वह खुद इस घोटाले की जांच करे, तो क्या उसे कोई आपत्ति होगी. सुब्रह्मण्यम और वेणुगोपाल- दोनों ने कहा कि न्यायालय की निगरानी पर उन्हें कोई अपत्ति नहीं है. पर वेणुगोपाल ने साथ में यह भी कहा कि न्यायालय को किसी बाहरी निष्पक्ष एजेंसी से जांच का आदेश नहीं देना चाहिए.