उच्चतम न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति देने की मांग करने वाले आवेदन पर फैसला करने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से काफी विलंब करने को लेकर आज कुछ परेशान करने वाले सवाल पूछे.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने जनता पार्टी अध्यक्ष और पूर्व कानून मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा, ‘क्या अनुमति देने वाला प्राधिकार (इस मामले में प्रधानमंत्री) शिकायत को दबा सकता है.’ पीठ ने सरकार की तरफ से पेश हुए सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम से कहा, ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमति देने के लिए निर्धारित की गई तीन महीने की समय सीमा निष्पक्ष और सुशासन के लिए है.
पीठ ने कहा, ‘हम पाते हैं कि अब 16 महीने से अधिक वक्त बीत चुका है. अनुमति देने वाला प्राधिकार कह सकता है कि मैं अनुमति देने को तैयार नहीं हूं. लेकिन हम इस कथित निष्क्रियता और चुप्पी को परेशान करने वाला पाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अनुमति देने वाला प्राधिकार हां या ना कह सकता है.’
अहमद ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया के मुताबिक सीएजी की रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति के पास जायेगी. यह समिति जेपीसी जैसी ही है, क्योंकि इसमें विभिन्न दलों के सदस्य होते हैं. साथ ही इस समिति का सभापति आम तौर पर विपक्ष का ही कोई नेता होता है और फिलहाल भाजपा के मुरली मनोहर जोशी इस पद पर बैठे हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या भाजपा को अपने नेता डा जोशी की क्षमता और निष्पक्षता पर विश्वास नहीं है.{mospagebreak}
इससे पहले पार्टी ने संसद में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट के बारे में कहा कि वह टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही उसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट संसद में पेश हुई है. रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हम इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे. जहां तक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बात है कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों ने अपना रूख साफ कर दिया है.’ पार्टी की एक अन्य प्रवक्ता जयंति नटराजन ने विपक्ष के रवेये को गेरजिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि विपक्ष को संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए ओर संसद है भी इसी के लिए.
उन्होंने कहा, ‘संसद में सभी चीजों पर बहस हो सकती है. अगर वे (विपक्ष) आम आदमी के लिए चिंतित हैं तो उन्हें संसद को चलने देना चाहिए. संसद को अवरूद्ध करना गैर जिम्मेदाराना है. विपक्ष को जिम्मेदार होना चाहिए.’