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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अमित शाह के आरोपों पर जवाब देने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि गुजरात के पूर्व गृहमंत्री अमित शाह के इन आरोपों पर जवाब दिया जाए कि उन्हें सीबीआई ने राजनीतिक कारणों से गलत तरह से सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में फंसाया है.

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सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि गुजरात के पूर्व गृहमंत्री अमित शाह के इन आरोपों पर जवाब दिया जाए कि उन्हें सीबीआई ने राजनीतिक कारणों से गलत तरह से सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में फंसाया है.

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न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने सरकार से शाह की दलीलों को पूरा होने के बाद आरोपों पर प्रतिक्रिया देने को कहा. शाह ने कहा था कि उन्हें इसलिए फंसाया गया क्योंकि केंद्र नरेंद्र मोदी सरकार को अस्थिर करना चाहता था.

दलीलों के दौरान वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने शाह की ओर से मामले में सीबीआई को जांच का निर्देश देने के शीर्ष अदालत के फैसले के संबंध में भी सवाल उठाये.

उन्होंने कहा कि आदेश को अस्तित्व में नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि पीठ में एक न्यायाधीश :न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं: खुद भी आदेश दिये जाते वक्त खुद उत्तर प्रदेश भविष्य निधि मामले में सीबीआई के दायरे में थे.

वकील ने सीबीआई जांच की भी आलोचना करते हुए कहा कि यह गुजरात पुलिस द्वारा की गयी जांच से बेहतर नहीं है, जो गीता जौहरी की अगुवाई में हुई थी. वह अब राजकोट की पुलिस आयुक्त हैं.

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अदालत सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के 46 वर्षीय शाह को जमानत दिये जाने के फैसले को चुनौती दी गयी थी.

गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के करीबी शाह को पिछले साल 25 जुलाई को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और उन्होंने अहमदाबाद में साबरमती जेल में तीन महीने से अधिक समय काटा.

सीबीआई ने शाह पर नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की साजिश के सूत्रधार होने का आरोप लगाया था. इससे पहले एजेंसी ने शीर्ष अदालत ने अनुरोध किया था कि मामले में मुकदमे को इस आधार पर गुजरात से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए कि गवाहों को धमकाया जा रहा है और निष्पक्ष व स्वतंत्र तरीके से सुनवाई हो सकती है.

सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी को कथित तौर पर गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने हैदराबाद से अपहृत किया था और नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास फर्जी मुठभेड़ में मार दिया.

सीबीआई के अनुसार बाद में एटीएस ने साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए सोहराबुद्दीन के सहयोगी कहे जाने वाले तुलसीराम प्रजापति को भी कथित तौर पर मार दिया चूंकि वह मामले का गवाह था.

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