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काले धन के स्रोत का पता लगाए सरकार: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने विदेशी बैंकों में जमा काले धन का स्रोत, हथियार सौदों और मादक पदार्थों की तस्करी से होने की आशंका को लेकर चिंता जताई है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि उसने विदेशों में खाता रखने वाले व्यक्तियों तथा कंपनियों के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं.

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उच्चतम न्यायालय ने विदेशी बैंकों में जमा काले धन का स्रोत, हथियार सौदों और मादक पदार्थों की तस्करी से होने की आशंका को लेकर चिंता जताई है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि उसने विदेशों में खाता रखने वाले व्यक्तियों तथा कंपनियों के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं.

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न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार को अगले गुरुवार तक जवाब देने का निर्देश दिया. न्यायालय ने एक याचिका पर अमल करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक और सीवीसी से भी जवाब मांगा, जिसमें सरकार को भ्रष्टाचार से संबंधित संधि को कार्यान्वित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है, जिससे विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने में मदद मिल सकती है.

पीठ ने कहा कि सरकार अपनी जांच को सिर्फ कर चोरी के पहलू तक ही सीमित नहीं करे, बल्कि काले धन के स्रोतों का भी पता लगाए. न्यायालय ने यह भी कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि विदेशी बैंकों में अकूत धन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ आपने क्या कार्रवाई की है. इस धन के स्रोत क्या हैं.’’

पीठ ने कहा, ‘‘देश में ये वे लोग हैं, जो कानून के प्रति जवाबदेह हैं. जब आपने (सरकार) यह जाना कि उन्होंने विदेशी बैंकों में धन जमा किया है, तो आपने क्या कदम उठाए?’’{mospagebreak}

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पीठ ने पूछा, ‘‘धन के स्रोत क्या हैं? धन कहां से आया? यह हथियार सौदों तस्करी नशीली वस्तुओं मादक पदार्थों की तस्करी या ऐसे ही किसी स्रोत से हासिल किया गया हो सकता है. यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है, जब आपको नामों की जानकारी मिली तो आपने क्या कार्रवाई की?’’

सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम के यह कहे जाने पर कि विदेशी बैंकों में खाता खोलने वालों के खिलाफ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) के तहत सरकार हरसंभव कार्रवाई कर रही है, पीठ ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मामला है, जिसे लेकर हम चिंतित हैं. आप नाम जानते हैं. आप जानते हैं कि धन कहां जमा है तब भी आप दोहरे कराधान के बारे में बात कर रहे हैं.’’

पीठ ने कहा, ‘‘कर के दृष्टिकोण से मुद्दे को देखना एक पहलू है, लेकिन काले धन से जुड़े अन्य मुद्दे भी गंभीर हैं जिनके बारे में हम चिंतित हैं.’’ सरकार ने हालांकि कहा कि वह संबंधित लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत कार्रवाई कर रही है और न्यायालय के साथ सूचना साझा करने में उसे कोई समस्या नहीं है. सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि मामले को लेकर बहुत सी एजेंसियां काम कर रही हैं और जांच जारी है.{mospagebreak}

याचिकाकर्ता एवं पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री राम जेठमलानी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने आरोप लगाया कि सरकार मुद्दे पर गंभीर नहीं है और कहा कि विदेशी बैंकों में खातों के लिए जांच का सामना कर रहा पुणे का व्यवसायी देश छोड़ चुका है. दीवान की बात सुनने के बाद न्यायालय ने सरकार से यह पता लगाने के लिए कहा कि क्या अली देश में मौजूद है या फिर देश छोड़कर भाग चुका है.

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न्यायालय ने तर्क सुनने के बाद मामले की सुनवाई अगले गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी. राम जेठमलानी ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि सरकार को विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने का निर्देश दिया जाए. उनके अनुसार विदेशी बैंकों में लगभग दस खरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का काला धन जमा है.

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए 19 जनवरी को काले धन के मुद्दे पर पूरी सूचना के साथ आने में सरकार की अनिच्छा को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त की थी और कहा था कि राष्ट्रीय संपत्ति का विदेश में जाना देश की ‘‘लूट’’ के समान है.{mospagebreak}

न्यायालय ने टिप्पणी की थी, ‘‘यह विशुद्ध रूप से राष्ट्रीय धन की चोरी का मामला है. हम दिमाग को झकझोर देने वाले अपराध की बात कर रहे हैं. हमारी नजर विभिन्न संधियों की पेचीदगियों पर नहीं है.’’

पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब सॉलीसिटर जनरल डीटीएए के तहत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में बता रहे थे. न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि सरकार ने हलफनामे में सूचना को सिर्फ जर्मनी के लीचटेंस्टीन बैंक में 26 लोगों द्वारा जमा कराए गए धन तक ही सीमित कर दिया.

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