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काला धनः तीन जजों की बेंच करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने केन्द्र सरकार की उस याचिका को बरकरार रखने पर खंडित फैसला सुनाया, जिसमें काले धन के मामले में विशेष जांच दल की नियुक्ति संबंधी कोर्ट के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने केन्द्र सरकार की उस याचिका को बरकरार रखने पर खंडित फैसला सुनाया, जिसमें काले धन के मामले में विशेष जांच दल की नियुक्ति संबंधी कोर्ट के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया है.

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पीठ ने केन्द्र की याचिका को बरकरार रखने के बारे में फैसला करने के लिए वृहत्तर पीठ के गठन के वास्ते उसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा.

न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर केन्द्र के आवेदन पर सुनवाई के लिए तैयार थे, जबकि न्यायामूर्ति एस एस निज्जर का कहना था कि सरकार की याचिका बरकरार रखने योग्य नहीं है. अब तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड के राजदूत फिलिप वेल्ती ने कहा है कि उनका देश उसी स्थिति में भारतीयों के गोपनीय बैंक खातों के बारे में सूचनाओं का आदान प्रदान करेगा, यदि यह दोनों राष्ट्रों के बीच संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) के दायरे में होगा.

निजी टीवी चैनलों के साथ बातचीत में वेल्ती ने यह पूछे जाने पर कि क्या स्विट्जरलैंड भारत के साथ बैंकिंग सूचनाओं का आदान प्रदान करेगा, कहा, ‘हां, यदि यह संधि के दायरे में होगा.’ स्विट्जरलैंड की संसद ने 17 जून को भारत के साथ संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि को मंजूरी दी है.

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इसके तहत भारत स्विस बैंकों में जमा अपने नागरिकों के अवैध तरीके से जमा कराए गए धन के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है. संसद के अनुमोदन के बाद इस संधि पर स्विट्रलैंड के लोग 100 दिन तक अपने विचार दे सकते हैं. यह अवधि छह अक्तूबर को समाप्त हो रही है.

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