उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अहमदाबाद की एक अदालत के आदेश पर स्थगनादेश जारी करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है.
अदालत ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आदेश दिया था कि वह गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में तीस्ता के पूर्व सहयोगी के बयान दर्ज करे. तीस्ता ने इस आदेश पर स्थगनादेश जारी करने करने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह पुनर्विचार संबंधी प्राधिकरण नहीं हो सकता और आवेदक उचित न्यायिक मंच पर अपनी गुहार लगा सकता है.
इस पर तीस्ता के वकील ने अपना आवेदन वापस लेना उचित समझा और उसके बाद न्यायालय ने अपना आदेश जारी कर दिया.
न्यायमूर्ति डी के जैन, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति आफताब आलम की खंडपीठ ने कहा कि आवेदक अपनी याचिका यह कहते हुए वापस लेना चाह रहा है कि वह कोई और तरीका अपनाना चाहता है, जो भी उन्हें उपलब्ध हो, कानून के मुताबिक. इसके चलते याचिका खारिज की जाती है.
पीठ ने स्पष्ट किया कि वह दावा अदालत के फैसले की अंदरुनी बातों में नहीं जा रही.
पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने आदेश की विशेषताओं पर अपना कोई मत नहीं दिया है. जब भी इसे चुनौती दी जाएगी, तब संबंधित अदालत उसका अपने हिसाब से निरीक्षण करेगी. आवेदन वापस लिए जाने के कारण खारिज किया जाता है.