सुप्रीम कोर्ट ने श्रीपद्मनाभ मंदिर के कोठरी बी को खोलने पर फिलहाल रोक लगा दी है. अदालत अब इस मामले पर 14 जुलाई को अगली सुनवाई करेगी.
कोर्ट में मामाले में सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है और कहा है कि सभी पक्षों की राय जानने के बाद ही कोई अंतिम फैसला होगा.
न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक ने याचिकाकर्ता त्रावणकोर के राजकुमार रहे राजा मार्तण्ड वर्मा और केरल सरकार से कहा कि वे प्राचीन मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उचित सुझावों के साथ आएं. यह मंदिर उस समय सुखिर्यों में आया था जब वहां के तहखानों में अकूत खजाना होने का पता चला.
शीर्ष अदालत ने तहखाने (बी) और तहखाने (ए) को खोलने पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई अगले गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी. त्रावणकोर के राजकुमार रहे राजा मार्तण्ड वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जिरह के दौरान स्पष्ट किया कि मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और राज परिवार के किसी भी सदस्य ने अकूत धन संपदा पर किसी स्वामित्व या अधिकार का दावा नहीं किया है.
उन्होंने पीठ को बताया, ‘राज परिवार का कोई भी सदस्य मालिकाना हक का दावा नहीं कर रहा है. यह एक सार्वजनिक मंदिर है. यह किसी संपत्ति के स्वामित्व का दावा नहीं कर रहा. इसका कोई भी हिस्सा परिवार के किसी सदस्य से संबंधित नहीं है. संपत्ति भगवान पद्मनाभस्वामी की है.’
मंदिर न्यासी राज परिवार ने राज्य सरकार द्वारा मंदिर का प्रशासन कब्जे में लिए जाने के फैसले को चुनौती दी है जिसे केरल उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. जिरह के दौरान पीठ ने कहा कि धन के विशाल भंडार की खोज के मद्देनजर मंदिर के भीतर और इसके इर्दगिर्द उच्चतम स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की जाए.
सुरक्षा उपायों पर जोर देते हुए पीठ ने कहा ‘‘देवता और मंदिर के गर्भ गृह पर नजरें रखने की बजाय बहुत से लोगों की आंखें अब इन तहखानों पर होंगी.’ अधिवक्ता वेणुगोपाल ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर से मिली संपत्ति के मूल्य का आकलन प्रमाणिक नहीं है क्योंकि यह मीडिया की कयासबाजी मात्र है.
शीर्ष अदालत ने छह जुलाई को पिछली सुनवाई में मंदिर के कक्षों में तहखानों के खजाने तक जाने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी का निर्देश दिया था. पीठ ने केरल के सदियों पुराने मंदिर में मिले इस खजाने के संरक्षण के लिए किसी संग्रहालय के क्यूरेटर की नियुक्ति का प्रस्ताव सुझाया था. मंदिर के तहखानों से मिले धन दौलत के विशाल भंडार की अनुमानित कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपये बताई जाती है.
शीर्ष अदालत ने ये निर्देश पूर्व में त्रावणकोर के राजकुमार रहे राजा राम वर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए थे जिन्होंने 31 जनवरी के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन और संपत्ति का कब्जा अपने हाथ में ले ले.
न्यायालय ने मंदिर के खजाने का निरीक्षण कर रहे पर्यवेक्षक के प्रक्रिया पर साक्षात्कार देने पर भी यह कहकर रोक लगा दी थी कि मामला राज्य से संबंधित है. शीर्ष अदालत ने पूर्व में राजा राम वर्मा के चाचा मार्तण्ड वर्मा द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए मंदिर प्रबंधन और मंदिर की संपत्ति का कब्जा लेने के उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगा दिया था.
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया था कि ‘मंदिर के खजाने में मिली मूल्यवान वस्तुओं और आभूषणों की विस्तृत सूची तैयार की जाए.’ न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एमएन कृष्णन और न्यायमूर्ति सीएस राजन को मंदिर में मिले खजाने के निरीक्षण के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया था और कहा था कि वस्तु सूची उनकी मौजूदगी में तैयार की जाएगी.
न्यायालय ने मार्तण्ड वर्मा सहित दोनों याचिकाकर्ताओं को भी इस बाबत अधिकृत कर दिया था कि वे सूची तैयार किए जाने के वक्त मौके पर मौजूद रहें. इसने यह भी कहा था कि वस्तुओं की सूची पुरातत्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त देवस्वम विभाग के सचिव या इसके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि की मौजूदगी में तैयार की जाएगी.