scorecardresearch
 

2जी स्‍पेक्‍ट्रम मामला: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र, ट्राई और कंपनियों को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल के दौरान आवंटित किये गये 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस को रद्द करने के लिये दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

Advertisement
X

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल के दौरान आवंटित किये गये 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस को रद्द करने के लिये दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

Advertisement

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के साथ 11 कंपनियों को भी नोटिस जारी किया. इन कंपनियों पर स्पेक्ट्रम आवंटन के लिये जरूरी शर्तो को पूरा नहीं करने का आरोप है. याचिका में ट्राई को भी प्रतिवादी बनाये जाने के कारण शीर्ष न्यायालय ने उसको भी नोटिस जारी किया है.

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की खंडपीठ ने दूरसंचार मंत्रालय और कंपनियों से तीन सप्ताह के अंदर अपने जवाब देने के लिये कहा. न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई एक फरवरी तक के लिये स्थगित कर दिया.

न्यायालय की पीठ ने कहा ‘इस तरह ट्राई को उसके सचिव के माध्यम से एक पक्ष बनाया गया है.’ पीठ एक गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में 2 जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि सभी नियमों का उल्लंघन किया गया है. {mospagebreak}

Advertisement

जिन कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं, वे क्रमश: एटिसलाट, यूनिनॉर, लूप टेलीकॉम, वीडियोकॉन, एस. टेल, अलायंस इन्फ्रा, आयडिया सेल्युलर, टाटा टेलीसर्विसेज, सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज, डिशनेट वायरलेस और वोडाफोन एस्सार हैं. पीठ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी सुनवाई कर रही है. इस याचिका में भी सर्वोच्च अदालत से ऐसे ही निर्देश देने की मांग की गई है.

बहरहाल, पीठ ने स्वामी से उन कंपनियों को पक्ष बनाने के लिए कहा है जिन्होंने आवेदन संबंधी नियमों का पालन नहीं किया था. इसके बाद ही पीठ इस मामले की सुनवाई सीपीआईएल की याचिका की सुनवाई के साथ करेगी.

सीपीआईएल की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने 2जी लाइसेंस रद्द किए जाने के लिए निर्दिष्ट आधारों के बारे में बताया. पीठ ने 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल करने वाली कंपनियों द्वारा नियमों का पालन करने में कथित विलंब के मुद्दे पर दूरसंचार क्षेत्र के सर्वोच्च नियामक प्राधिकरण ट्राई की खामोशी पर भी सवाल उठाया है. {mospagebreak}

पीठ ने कहा ‘ट्राई ने कार्रवाई क्यों नहीं की. करीब एक साल सात महीने तक यह खामोश क्यों रहा. ट्राई को दूरसंचार क्षेत्र का और उपभोक्ता के संदर्भ में सर्वोच्च नियामक माना जाता है. यह क्या कर रहा था ?’ राजकोष को हुए वास्तविक नुकसान पर विरोधाभासों के बारे में पूछे जाने पर पीठ ने कहा कि नियमों का कथित तौर पर उल्लंघन कर स्पेक्ट्रम आवंटन किए जाने से राजकोष को हुए वास्तविक नुकसान के बारे में बताना सरकार की जिम्मेदारी है.

Advertisement

पीठ ने कहा ‘राजकोष को कितना नुकसान हुआ. यह हम सरकार से पूछेंगे.’ जब प्रशांत भूषण ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में राशि बताई गई है तो पीठ ने कहा कि यह राशि सरकार द्वारा नहीं बताई गई है. भूषण ने कहा कि मूल कीमत से तीन गुना अधिक दामों में आवंटन के बाद लाइसेंस अगले ही दिन अन्य कंपनियों को बेच दिए जिससे सरकार को गहरा नुकसान हुआ.

बहरहाल, पीठ ने कहा कि नुकसान की राशि अब बहस योग्य मुद्दा बन गई है. भूषण ने कहा कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सीएजी रिपोर्ट में बताए गए 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान पर कहा है कि यह सही नहीं है. इस पर पीठ ने कहा ‘हम इस पर संज्ञान नहीं ले सकते क्योंकि यह रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है.’

Advertisement
Advertisement