सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से जुड़े तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ कांड में सीबीआई जांच का आदेश दिया है. प्रजापति सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले का प्रत्यक्षदर्शी था. इस हत्याकांड से प्रदेश के पूर्व मंत्री अमित शाह का नाम कथित तौर पर जुड़ा है.
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की पीठ ने गुजरात सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया कि इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि प्रदेश पुलिस ने इस मामले में पहले ही आरोपपत्र दायर किया हुआ है.
इस बारे में प्रजापति की मां नर्मदा बाई ने अपील दायर की थी. अपील में आरोप लगाया गया था कि गुजरात पुलिस ने प्रजापति को कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया क्योंकि वह सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी की हत्या का प्रत्यक्षदर्शी था.
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए बहुत मजबूती से पेश किया है क्योंकि इस मामले में तीन प्रदेशों, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की पुलिस के शामिल होने से जुड़े कई संदेह हैं. पीठ ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि इस फैसले में जो भी विचार दिए गए हैं, उनका इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत पर कोई प्रभाव नहीं होगा.
न्यायालय ने इस हत्याकांड की गुजरात पुलिस द्वारा जांच धीमी गति से किए जाने की भी आलोचना की. पीठ ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि प्रदेश पुलिस ने हत्या के बाद आरोपपत्र दायर करने में साढ़े तीन साल से भी ज्यादा का समय लिया.
गुजरात सरकार ने इस आधार पर सीबीआई जांच का विरोध किया कि प्रजापति की हत्या मुठभेड़ का एक पृथक मामला है और यह किसी भी तरह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले से संबंधित नहीं है.
पीठ ने 15 मार्च को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुजरात सरकार और शाह ने इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने का इस आधार पर विरोध किया था कि केंद्र इस मामले में पूर्व मंत्री शाह और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने की कोशिश कर रहा है.
हालांकि सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के टी एस तुलसी और नर्मदा बाई के वकील ने इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने को न्यायसंगत ठहरा दिया. उनका तर्क था कि गुजरात पुलिस की जांच ‘पक्षपातपूर्ण’ है और प्रजापति की हत्या सोहराबुद्दीन की हत्या से जुड़ा मामला है.