उच्चतम न्यायालय ने पी जे थॉमस की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. पी जे थॉमस को केंद्र सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर नियुक्ति किया था जिसपर विवाद चल रहा था.
उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय सर्तकता आयुक्त के तौर पर पी जे थॉमस की नियुक्ति रद्द की. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि थॉमस की नियुक्ति को लेकर उच्च स्तरीय समिति ने जो अनुशंसाएं कीं, वे ‘कानून के अनुरूप नहीं है.’ न्यायालय के मुताबिक, समिति थॉमस के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करने वाली संबंधित सामग्री पर विचार करने में असफल रही.
न्यायालय ने सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि 2008 में सीवीसी की नियुक्ति के लिए सतर्कता विभाग ने जो मंजूरी दी थी, उसी को पद पर नियुक्ति के लिए बनी उम्मीदवार सूची में थॉमस के नाम को शामिल करने का आधार बनाया गया.
न्यायालय ने कहा कि थॉमस के नाम की अनुशंसा करते हुए न तो समिति और न ही सरकार के किसी अधिकारी ने सीवीसी कार्यालय की संस्थागत ईमानदारी के व्यापक मुद्दे पर ध्यान केंद्रित दिया.
उच्चतम न्यायालय के मुताबिक, सीवीसी की नियुक्ति की कसौटी न केवल संस्थागत ईमानदारी है, बल्कि प्रत्याशी की व्यक्तिगत ईमानदारी भी है. न्यायालय के मुताबिक, भविष्य में कोई भी नियुक्ति केवल नौकरशाहों के लिए सीमित नहीं रहनी चाहिए, इसमें दूसरे क्षेत्रों से जुड़े बेदाग निष्ठा वाले लोगों के नामों पर भी विचार किया जाना चाहिए.
न्यायालय ने थॉमस और सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सीवीसी की नियुक्ति को न्यायिक समीक्षा के तहत नहीं लाया जा सकता.
न्यायालय ने कहा कि अनुशंसाओं की वैधानिकता को न्यायिक समीक्षा के तहत लाया जा सकता है.
न्यायालय ने कहा कि समिति ने थॉमस के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले पर विचार नहीं किया. इसके अलावा प्रशिक्षण और कार्मिक विभाग ने उनके खिलाफ 2000 से 2004 के बीच अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी, समिति ने उस पर भी विचार नहीं किया.