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आय से अधिक संपत्ति मामले में लालू यादव को राहत

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई द्वारा की गई जांच में लालू प्रसाद यादव को बरी किए जाने के खिलाफ बिहार सरकार को अपील करने का अधिकार नहीं.

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राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उनके तथा उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में बिहार सरकार को पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का अधिकार नहीं है जिसमें सीबीआई द्वारा अभियोग चलाया गया था.

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प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति आरएम लोढा तथा न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने कहा ‘मामले में अपील दायर करने के लिए बिहार सरकार सक्षम अभिकरण नहीं है.’ यह फैसला लालू प्रसाद और उनकी पत्नी तथा सीबीआई द्वारा भी दायर की गई अपील को स्वीकार कर पारित किया गया. अपील में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने के निर्णय के खिलाफ बिहार सरकार की अपील स्वीकार करने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी.

फैसले का स्वागत करते हुए लालू प्रसाद ने पटना में कहा कि उनका न्यापालिका में भरोसा है. बरी किए जाने के निर्णय को सीबीआई द्वारा चुनौती न दिए जाने पर राज्य सरकार ने अपनी ओर से अपील दायर की थी.

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति लोढा ने कहा कि मामले में सिर्फ केंद्र और सीबीआई ही सक्षम अभिकरण हैं जो अपील दायर कर सकते हैं तथा कानून के तहत राज्य सरकार निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के अधिकार से बाहर है.

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{mospagebreak}विशेष सीबीआई न्यायाधीश मुनि लाल पासवान ने 18 दिसंबर 2006 को लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को मामले से बरी कर दिया था जिसमें लालू पर उस समय आय के ज्ञात स्रोतों से 46 लाख रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित करने का आरोप था जब वह 1990 से 1997 के बीच मुख्यमंत्री थे. यह जानने के बाद कि लालू और उनकी पत्नी को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई चुनौती नहीं दे रही बिहार सरकार ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की.

उच्च न्यायालय ने कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें (लालू और उनकी पत्नी) बरी किए जाने को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की अपील स्वीकार योग्य है और इस पर सीआरपीसी की धारा 378 के तहत विचार किया जा सकता है.

बिहार सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा कि नीतीश कुमार सरकार को अपील दायर करने का अधिकार नहीं है क्योंकि मामले की जांच उसके द्वारा (सीबीआई) की गई थी और राज्य सरकार केंद्र के कार्यकारी फैसले के खिलाफ काम नहीं कर सकती. लालू प्रसाद और उनकी पत्नी ने भी यही रुख अपनाया.

{mospagebreak}उच्चतम न्यायालय में दस मार्च को अंतिम सुनवाई के दौरान सीबीआई और राजद प्रमुख ने बिहार सरकार के अपील दायर करने के फैसले का विरोध किया जिसमें आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू को बरी किए जाने को चुनौती दी गई थी.

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बिहार सरकार ने हालांकि तर्क दिया कि उसे बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने का इसलिए अधिकार है क्योंकि अपराध राज्य में हुआ बेशक इसकी जांच और अभियोग चलाने का काम सीबीआई ने किया हो. उसने तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 378 (2) केंद्र को सीबीआई की जांच वाले मामलों में अपील के सवाल पर फैसला करने के लिए सिर्फ अतिरिक्त शक्ति प्रदान करती है.

बिहार सरकार ने मामले में राजद प्रमुख और उनकी पत्नी को बरी किए जाने के खिलाफ अपील स्वीकार करने के उच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन किया.

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