सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह की कथित भूमिका पर सीबीआई को फटकार लगाई है.
सीबीआई ने कई अनाम पत्रों को शाह की फिरौती रैकेट में कथित भूमिका से जुड़ी शिकायतों के तौर पर पेश किया. एजेंसी के इस कदम को न्यायालय ने ‘किसी को खुश करने’ का कदम बताया है.
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने कहा, ‘यह स्पष्टतया किसी को खुश करने के लिए उठाया गया कदम है, जो बिल्कुल गलत है.’ सीबीआई ने शाह के खिलाफ ऐसी लगभग 200 शिकायतें पेश की थीं, जिन्हें देखने के बाद पीठ ने कहा, ‘आपने (सीबीआई ने) हमसे कहा कि प्रदेश सरकार ने इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की. इन पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. ये शिकायतें पूरी तरह बकवास लग रही हैं.’
सीबीआई ने गुजरात हाई कोर्ट की ओर से शाह को जमानत दिए जाने को चुनौती दी है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘आपको हमारा सबसे अच्छा जांचकर्ता माना जाता है. अब आपको इन कमियों पर जवाब देना होगा.’
सुनवाई के दौरान, शाह ने आरोप लगाया कि वह राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं और सीबीआई ने उन्हें इस मामले में झूठे तौर पर फंसाया है. एजेंसी ने न्यायालय के सामने सीलबंद दो रिपोर्ट पेश करते हुए शाह पर आरोप लगाया कि वह एक फिरौती रैकेट के सरगना हैं और इसी रैकेट के चलते सोहराबुद्दीन की कथित तौर पर हत्या हुई.
सीबीआई ने दावा किया कि उसने लगभग 200 शिकायतें पेश की हैं, जिन पर गुजरात सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.
शाह की ओर से पेश वकील राम जेठमलानी ने कहा कि ऐसी सिर्फ तीन शिकायतें हैं, जो शाह से जुड़ी हैं और शेष सभी अज्ञात पत्र हैं, जिनका फिरौती की शिकायतों से कोई संबंध नहीं है.
जेठमलानी ने कहा, ‘शाह राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं और सीबीआई भी उसका एक भाग है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि शाह को इस मामले में फंसाने के लिए सीबीआई उन्हें ‘राजनीतिक कारणों’ से कई दूसरे ऐसे आपराधिक मामलों में भी फंसाने की कोशिश कर रही है, जिनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है.