उच्चतम न्यायालय ने यमुना में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने के लिए दिल्ली नगर निगम को जिम्मेदार ठहराते हुए निगम के इस तर्क पर नाराजगी जताई कि नदी के प्रदूषण से उसका कोई लेना देना नहीं है. शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि यदि एमसीडी का रुख ऐसा ही बना रहता है तो उसके तीनों आयुक्तों को अदालत के सामने पेश होना पड़ेगा.
न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा, ‘आप (एमसीडी) सबसे ज्यादा प्रदूषण (यमुना में) फैलाते हैं. आप सारे घरेलू और औद्योगिक प्रवाह को नदी में जाने देते हैं. फिर भी आप कहते हैं कि एमसीडी की कोई भूमिका नहीं है.’ शीर्ष अदालत ने एमसीडी के वकील से यमुना की सफाई के लिए अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर किये गये प्रयासों पर रुख स्पष्ट करने को कहा.
पीठ ने एमसीडी के वकील संजीव सेन से कहा, ‘आप नदी को प्रदूषित कर रहे हैं और इस बारे में निश्चिंत हैं. यदि आपका रुख यही बना रहता है तो तीनों निगम आयुक्तों को अगली सुनवाई पर यहां पेश होना पड़ेगा और स्पष्टीकरण देना होगा.’ जब वकील ने कहा कि अन्य एजेंसियों की तरह एमसीडी की प्रदूषण रोकने के अभियान में कोई भूमिका नहीं होती तो पीठ ने कड़ी नाराजगी प्रकट की.
शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को केंद्र और हरियाणा, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों से यमुना की सफाई के लिए किये गये खर्च की जानकारी देने को कहा था. उसने केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यमुना नदी के पानी का नमूना लेने और उसकी सफाई पर रिपोर्ट जमा करने को कहा था.