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गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ झूठी प्राथिमिकी दर्ज कराने के लिए मंगलवार को गुजरात सरकार को फटकार लगाई.

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सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ झूठी प्राथिमिकी दर्ज कराने के लिए मंगलवार को गुजरात सरकार को फटकार लगाई.

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न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने गुजरात सरकार के वकील से कहा कि इस तरह के मामलों से राज्य सरकार की कोई प्रतिष्ठा नहीं बनने वाली है.

कमेटी फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की सचिव सीतलवाड़ के खिलाफ दायर प्राथिमिकी को झूठा करार देते हुए न्यायालय ने गुजरात सरकार के वकील से कहा कि वह प्राथिमिकी को निष्पक्षतापूर्वक पढ़ें और एक न्यायालयी अधिकारी की हैसियत से अपने विचार दें.

न्यायालय ने यह बात सीतलवाड़ द्वारा दायर उस याचिका की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें उन्होंने उस प्राथिमिकी को रद्द करने की मांग की है, जिसमें अन्य लोगों के साथ उन पर अज्ञात शवों की कब्रें अनाधिकृतरूप से खोदने का आरोप है.

लूनावाड़ा सामूहिक कब्र खोदने का मामला, 27 दिसम्बर, 2005 की उस घटना से सम्बंधित है, जिसमें छह लोगों ने सीजेपी के तत्कालीन समन्वयक रईस खान पठान के नेतृत्व में गुजरात के पंचमहल जिले में लूनावाड़ा में पनाम नदी की तलछटी में 28 अज्ञात शवों को कब्र से खोदकर निकाला था.

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बाद में कब्र खोदने वालों ने दावा किया कि वे शव पंधरवाड़ा नरसंहार के लापता पीड़ितों के थे और वे उनके रिश्तेदार थे. बाद में शवों की पहचान के लिए उनकी डीएनए जांच कराई गई और उसके बाद उन्होंने शवों को इस्लामिक परम्परा के अनुसार, बाकायदा दफन किया. उस समय पठान ने कहा था कि उन्होंने सीतलवाड़ के कहने पर कब्रें खोदी थी.

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